निश्चय टाइम्स, लखनऊ। लखनऊ नगर निगम में एक बार फिर प्रशासनिक और राजनीतिक टकराव खुलकर सामने आ गया है। मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त गौरव कुमार को एक तीखा पत्र लिखकर कार्यक्रमों से अनदेखी, सूचना में लापरवाही, और कार्य विभाजन में परामर्श न लेने जैसे गंभीर मुद्दों पर आपत्ति जताई है। मेयर ने 1 अगस्त को आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम — जिसमें मृतक आश्रितों को नियुक्ति-पत्र और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की विदाई शामिल थी — में उन्हें न आमंत्रित किए जाने और न जानकारी दिए जाने को लेकर कड़ा ऐतराज जताया है। अपने पत्र में मेयर ने लिखा है, “इस प्रकार की उपेक्षा यह दर्शाती है कि नगर आयुक्त कार्यालय में समन्वय की गंभीर कमी है और यह प्रशासनिक अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।”
इसके अलावा, मेयर ने 31 जुलाई को जारी किए गए नव नियुक्त सहायक नगर आयुक्तों के कार्य विभाजन आदेश को भी सवालों के घेरे में रखा है। उन्होंने कहा कि न तो इस आदेश से पहले उनसे कोई विचार-विमर्श किया गया और न ही कार्यभार सौंपे गए अधिकारियों को अनिवार्य सुविधाएं जैसे कक्ष और स्टाफ उपलब्ध कराए गए। पत्र के अंत में मेयर ने नगर आयुक्त को 4 अगस्त की अपराह्न तक लिखित जवाब देने को कहा है और यह स्पष्ट करने को कहा है कि —
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क्या महापौर की उपस्थिति ऐसे सरकारी कार्यक्रमों में आवश्यक नहीं मानी जाती?
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क्या कार्य विभाजन जैसे निर्णयों से पूर्व निर्वाचित प्रतिनिधियों से राय लेना जरूरी नहीं है?
नगर निगम के गलियारों में इस पत्र के बाद प्रशासनिक और राजनीतिक द्वंद्व को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। अब सबकी नजर नगर आयुक्त गौरव कुमार के जवाब और आगे की स्थिति पर टिकी है।
