नयी दिल्ली : कांग्रेस ने ‘‘विकास दर में गिरावट’’ को लेकर शनिवार आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आर्थिक मामलों में लगातार विफल साबित हो रही है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मोडानी सरकार आर्थिक मामलों में लगातार विफल साबित हो रही है.
विकास दर तेज़ी से गिर रही है. रुपया कमजोर हो रहा है, औद्योगिक उत्पादन ठप है, एनपीए बढ़ रहा है, बेरोज़गारी और महंगाई बढ़ रही है तथा नौकरियां घट रही हैं.’’ उन्होंने दावा किया कि ज़मीनी हालात जीडीपी गिरावट से भी ज़्यादा गंभीर हैं तथा सभी फॉर्मूलों में झोलझाल जारी है, फिर भी आर्थिक सूचकांक लगातार गिर रहा है. रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘जनता त्रस्त है, ‘मोडानी’ मस्त हैं. भाजपा सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है.’’
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर डॉ. माइकल पात्रा के एक बयान का हवाला देते हुए कहा, ‘‘पात्रा ने मौजूदा आर्थिक हालात को संक्षेप में बेहद अच्छे ढंग से बताया है. उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था उतनी तेज़ी से आगे नहीं बढ़ रही है जितनी तेज़ी से बढ़नी चाहिए क्योंकि निजी निवेश नहीं बढ़ रहा है और विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि सुस्त है.’’ रमेश ने कहा कि ये दोनों ही चीज़ें महंगाई की मार झेल रहे उपभोक्ताओं की ओर से मांग में कमी के कारण हैं.
आपने मोदी सरकार के बारे में एक तीव्र आलोचना व्यक्त की है। यह बयान उन आर्थिक नीतियों या निर्णयों की आलोचना को दर्शाता है, जिनके परिणामस्वरूप कुछ लोग यह मानते हैं कि सरकार अपनी आर्थिक योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में सफल नहीं हो रही है।
इस संदर्भ में, 2016 में हुई नोटबंदी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरा पड़ा था। इस निर्णय ने लाखों लोगों को असुविधा में डाला, खासकर गरीब और ग्रामीण इलाकों में, जबकि इसके दीर्घकालिक लाभ पर बहस जारी है।
महंगाई और बेरोजगारी दर में वृद्धि ने आम नागरिकों को परेशानी में डाला है। खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और रोजगार के अवसरों की कमी, विशेष रूप से युवा वर्ग के लिए, सरकार के लिए एक चुनौती रही है।
कुछ आलोचकों का कहना है कि भारत की विकास दर धीमी हो गई है, जो सरकार के आर्थिक निर्णयों के प्रभाव को दर्शाती है। कोविड-19 महामारी ने इस स्थिति को और खराब किया है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट आई।
किसानों के लिए कई नीतियाँ, जैसे कृषि कानूनों को लेकर विरोध और हिंसा, यह दर्शाते हैं कि कृषि क्षेत्र में सुधार के प्रयासों में सरकार सफल नहीं हो पा रही है।
हालांकि, सरकार यह तर्क भी देती है कि उसके प्रयासों से दीर्घकालिक आर्थिक सुधार हो रहे हैं, जैसे जीएसटी लागू करना, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और विदेशी निवेश को आकर्षित करना।
इसलिए, यह मुद्दा राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण पर निर्भर करता है, और दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं।
