लोकप्रिय लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से मंगलवार को कोई अंतरिम राहत नहीं मिली। नेहा ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर किए गए एक विवादित कमेंट को लेकर दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी।
उन पर आरोप है कि उन्होंने पहलगाम घटना पर सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसा बयान दिया, जिससे सांप्रदायिक तनाव फैलने की आशंका जताई गई। इस मामले में उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश में एफआईआर दर्ज की गई थी।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति बी.आर. सिंह की खंडपीठ में हुई, जिसमें अदालत ने फिलहाल कोई निर्णय न देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 6 जून तय की है। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगली सुनवाई में मामले के सभी पहलुओं पर विस्तार से सुनवाई की जाएगी।
नेहा सिंह राठौर का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी भी समुदाय की भावना को आहत करना नहीं था, बल्कि उन्होंने केवल एक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे पर अपनी राय रखी थी। वहीं, अभियोजन पक्ष का तर्क है कि उनका बयान उत्तेजक था और इससे समाज में सांप्रदायिक तनाव फैल सकता था।
इस प्रकरण ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में भी खासा ध्यान खींचा है। नेहा अपने बेबाक अंदाज़ और राजनीतिक टिप्पणियों के लिए जानी जाती हैं, लेकिन इस बार उनका यह अंदाज़ कानूनी विवादों में घिर गया है।
नेहा सिंह राठौर को नहीं मिली राहत
सोशल मीडिया कमेंट मामले में अगली सुनवाई 6 जून को
लोकप्रिय लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से मंगलवार को कोई अंतरिम राहत नहीं मिली। नेहा ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर किए गए एक विवादित कमेंट को लेकर दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी।
उन पर आरोप है कि उन्होंने पहलगाम घटना पर सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसा बयान दिया, जिससे सांप्रदायिक तनाव फैलने की आशंका जताई गई। इस मामले में उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश में एफआईआर दर्ज की गई थी।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति बी.आर. सिंह की खंडपीठ में हुई, जिसमें अदालत ने फिलहाल कोई निर्णय न देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 6 जून तय की है। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगली सुनवाई में मामले के सभी पहलुओं पर विस्तार से सुनवाई की जाएगी।
नेहा सिंह राठौर का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी भी समुदाय की भावना को आहत करना नहीं था, बल्कि उन्होंने केवल एक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे पर अपनी राय रखी थी। वहीं, अभियोजन पक्ष का तर्क है कि उनका बयान उत्तेजक था और इससे समाज में सांप्रदायिक तनाव फैल सकता था।
इस प्रकरण ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में भी खासा ध्यान खींचा है। नेहा अपने बेबाक अंदाज़ और राजनीतिक टिप्पणियों के लिए जानी जाती हैं, लेकिन इस बार उनका यह अंदाज़ कानूनी विवादों में घिर गया है।
Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.
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