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एनजीटी ने नोएडा की 22 परियोजनाओं पर भूजल जांच के लिए 4 हफ्ते का समय दिया

लखनऊ/नोएडा: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों को 22 रियल एस्टेट परियोजनाओं की जल आपूर्ति के स्रोतों की अद्यतन सत्यापन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय प्रदान किया है। यह निर्देश 30 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें एनजीटी की मुख्य पीठ — अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल शामिल थे।

यह मामला आवेदक प्रसून पंत की याचिका से संबंधित है, जिसमें नोएडा और ग्रेटर नोएडा में चल रही कई निर्माण परियोजनाओं में भूजल के अवैध दोहन का गंभीर आरोप लगाया गया है। एनजीटी ने पहले की सुनवाई में पाया था कि एक संयुक्त समिति द्वारा जांची गई 63 परियोजनाओं में से 22 परियोजनाएं ऐसी थीं, जिनमें भूजल के उपयोग का कोई प्रमाण नहीं मिला था।

हालांकि, 29 जुलाई 2025 के आदेश के अनुसार, इन 22 परियोजनाओं में से 14 ने अभी तक अपने जल स्रोत से संबंधित रिकॉर्ड यूपीपीसीबी या स्थानीय प्राधिकरणों को प्रस्तुत नहीं किए थे। एनजीटी ने निर्देश दिया था कि सभी परियोजनाएं अपने दस्तावेज़ प्रस्तुत करें, जिसके बाद संबंधित अधिकारी उनकी सत्यापन रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को सौंपें।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने बताया कि सभी 22 परियोजनाओं को नोटिस भेजे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक 12 परियोजनाओं ने जवाब नहीं दिया है। यूपीपीसीबी के वकील ने भी यही स्थिति बताई। इस पर एनजीटी ने दोनों प्राधिकरणों को चार सप्ताह के भीतर अद्यतन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

एनजीटी ने स्पष्ट किया कि अब तक नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों की ओर से कोई सत्यापन रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है, जबकि यूपीपीसीबी ने 25 अक्टूबर को अपना जवाब दाखिल कर दिया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि सभी पक्ष 29 जुलाई के आदेश का पालन करते हुए तय समय में अपनी स्थिति स्पष्ट करें।

इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2026 को होगी।
पिछली कार्यवाही में एनजीटी ने 22 परियोजनाओं में से 14 को जल स्रोतों से संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का अंतिम अवसर दिया था।

गौरतलब है कि 2023 में गठित संयुक्त समिति ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 33 हाउसिंग सोसायटियों द्वारा अवैध भूजल दोहन की पहचान की थी, जिसके बाद ₹306 करोड़ का पर्यावरणीय मुआवज़ा लगाया गया। जून 2024 में गौतमबुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में अनुपालन की स्थिति और उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध आगे की कार्रवाई पर विचार किया गया था।

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Author: ntuser1

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