निश्चय टाइम्स, डेस्क। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने नीति आयोग, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर संकला फाउंडेशन को ‘भारत में वृद्धावस्था: उभरती वास्तविकता, विकसित होती प्रतिक्रियाएँ’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने में सहयोग किया। यह सम्मेलन 1 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का मकसद वरिष्ठ नागरिकों के मानवाधिकारों और सम्मान की रक्षा तथा वृद्धावस्था को एक अवसर के तौर पर पुनर्परिभाषित करना था। इसका उद्देश्य भारत की वृद्ध होती आबादी की उभरती चुनौतियों और अवसरों के समाधान हेतु नवीन नीतियों को बढ़ावा देना, हितधारकों के साथ संवाद को प्रोत्साहित करना और सर्वोत्तम प्रथाओं को उजागर करना था। अपने उद्घाटन भाषण में, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने कहा कि भारत की एक समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा रही है, जिसमें बुज़ुर्गों की देखभाल और उनके सम्मान को एक बुनियादी सामाजिक मूल्य समझा जाता है। इस संदर्भ में उन्होंने संगम साहित्य और यजुर्वेद का भी उल्लेख किया। उन्होंने मानवाधिकारों को बनाए रखने के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अधिदेश के अनुरूप, वरिष्ठ नागरिकों की गरिमा, सुरक्षा और कल्याण के लिए इन प्राचीन मूल्यों और सिद्धांतों को आधुनिक नीतिगत ढाँचों में समाहित करने की अपील की। बुज़ुर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए आयोग की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, उन्होंने परामर्श, कोर ग्रुप बैठकें, शोध अध्ययन और स्वतः संज्ञान मामलों सहित आयोग की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य, पोषण एवं शिक्षा) डॉ. विनोद के. पॉल ने अपने विशेष संबोधन में वृद्ध होती आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सुरक्षा ढाँचों के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि परिवारों को अपने बुज़ुर्गों की देखभाल के लिए सशक्त बनाना, भारत के दृष्टिकोण का आधार बना रहना चाहिए।इससे पहले, अपने मुख्य भाषण में, एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल ने सम्मेलन का एजेंडा तय करते हुए कहा कि 2050 तक भारत में करीब 35 करोड़ बुजुर्ग होंगे, जब हर पांच में से एक वरिष्ठ नागरिक होगा, जो एक अहम नीतिगत चुनौती पेश करेगा। उन्होंने भारत की पारिवारिक मूल्य प्रणाली में निहित परिवार और समुदाय-आधारित देखभाल मॉडल विकसित करने और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के पूरक की ज़रुरत पर बल दिया। उन्होंने 2024 में जारी विधवाओं के अधिकारों पर एनएचआरसी के परामर्श का हवाला दिया, जिसमें राज्य के अधिकारियों से निराश्रित और बुजुर्ग विधवाओं के लिए पेंशन, आवास और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया था। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान वृद्ध लोगों की सुरक्षा पर एनएचआरसी के उस परामर्श का भी ज़िक्र किया, जिसमें टीकाकरण, घर- घर आधारित देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और लॉकडाउन के दौरान उपेक्षा या परित्याग से सुरक्षा करते हुए समान तक पहुंच पर ध्यान केंद्रित किया गया था। श्री लाल ने वृद्धजनों को ज्ञान, अनुभव और बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण पुरुष और महिला मानते हुए, स्कैंडिनेवियाई देशों और जापान के मॉडल पर आधारित वृद्धों की देखभाल के लिए समुदाय-आधारित सेवाओं और अंतर-पीढ़ीगत सहभागिता पर ज़ोर दिया, ताकि उन्हें भारतीय सांस्कृतिक संदर्भ के मुताबिक ढाला जा सके। उन्होंने हितधारकों से आह्वान किया कि वे उद्घाटन सत्र में जारी ‘भारत में वृद्धावस्था: चुनौतियाँ और अवसर’ शीर्षक वाली रिपोर्ट को ज़रुर पढ़ें, ताकि समावेशी और समुदाय-आधारित स्वास्थ्य सेवा के लिए वे राष्ट्र निर्माण में निरंतर सार्थक भूमिका अदा कर सकें। इससे पहले, संकला फाउंडेशन के निदेशक देवेंद्र कुमार निम ने सम्मेलन के उद्देश्यों को रेखांकित किया। यह चार विषयगत सत्रों में विभाजित था, जिसमें प्रख्यात विशेषज्ञों ने संबोधित किया। इनमें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव अमित यादव की अध्यक्षता में ‘बुजुर्ग कल्याण को सुदृढ़ बनाना: नीति एवं व्यवहार’, यूपीएससी की पूर्व अध्यक्ष और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की पूर्व सचिव प्रीति सूदन द्वारा ‘ बुजुर्गों का स्वास्थ्य एवं मानसिक कल्याण’, भारत के पूर्व जी20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत द्वारा ‘वृद्धि एवं विकास के लिए वृद्धावस्था का लाभ उठाना’ और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य, पोषण एवं शिक्षा) डॉ. विनोद के. पॉल द्वारा ‘भविष्य को आकार देना: वृद्ध समाज की तैयारी’ शामिल थे। सम्मेलन में सरकारी संस्थाओं, नागरिक समाज संगठनों और आम जनता सहित सभी हितधारकों से अपील की गई कि वे बुजुर्ग लोगों की गरिमा और उनके अधिकारों को बनाए रखने के मकसद से की जाने वाली पहलों में सक्रिय रूप से शामिल हों, जिससे एक न्यायसंगत और समतामूलक समाज की स्थापना में योगदान दिया जा सके।
