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नीति आयोग की रसायन उद्योग पर रिपोर्ट जारी

बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित करना: वर्ष 2030 तक 7 लाख अतिरिक्त रोजगार सृजित करने का उद्देश्य

निश्चय टाइम्स, डेस्क। नीति आयोग ने “रसायन उद्योग: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को सशक्त बनाना” विषय पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट भारत के रसायन क्षेत्र का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें अवसरों और चुनौतियों दोनों पर प्रकाश डाला गया है, तथा वैश्विक रसायन बाज़ार में भारत की अहम भूमिका बनाने के लिए रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
वैश्विक रासायनिक उद्योग एक बड़े बदलावों से गुजर रहा है, जो आपूर्ति श्रृंखलाओं में परिवर्तन, विशेष और हरित रसायनों की मांग और नवाचार और स्थिरता पर विशेष ध्यान के कारण प्रेरित है। भारत का रासायनिक क्षेत्र, स्वरुप और जीडीपी योगदान में महत्वपूर्ण होने के बावजूद, बुनियादी ढांचे की कमी, नियामक अक्षमताओं और कम अनुसंधान और विकास गतिविधियों के कारण खंडित और बाध्य बना हुआ है। वैश्विक रासायनिक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की 3.5 प्रतिशत की भागीदारी और वर्ष 2023 में 31 बिलियन अमरीकी डॉलर का रासायनिक क्षेत्र व्यापार घाटा, आयातित कच्चे सामान और विशेष रसायनों पर इसकी अधिक निर्भरता को रेखांकित करता है। हालांकि, राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेपों की एक व्यापक श्रेणी को शामिल करने वाले लक्षित सुधारों के साथ भारत वर्ष 2040 तक 1 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का रासायनिक क्षेत्र का व्यापार करने और 12 प्रतिशत जीवीसी भागीदारी प्राप्त करने में सक्षम होगा और वैश्विक रासायनिक उद्योग महाशक्ति बनेगा।

भारत के रासायनिक क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ
भारत का रासायनिक उद्योग क्षेत्र कई संरचनात्मक चुनौतियों का सामना कर रहा है जो इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में बाधा उत्पन्न करती है। एक प्रमुख मुद्दा आयातित कच्चे सामान पर देश की भारी निर्भरता है। वर्ष 2023 में सीमित घरेलू पिछड़े एकीकरण ने 31 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार घाटे में बड़ा योगदान दिया। बुनियादी ढाँचे की कमी, पुराने औद्योगिक क्षेत्र और उच्च रसद लागत ने अन्य देशों की तुलना में लागत में बढ़ोत्तरी की है। इसके अतिरिक्त, अनुसंधान और विकास में वैश्विक औषत 2.3 प्रतिशत के मुकाबले में भारत में केवल 0.7 प्रतिशत का निवेश, उच्च मूल्य वाले रसायनों में स्वदेशी नवाचार पर रोक लगाता है। विनियामक देरी, विशेष रूप से पर्यावरणीय अनुमति सहित विनियामक विलंब औद्योगिक गतिविधि को और कम करती है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की 30 प्रतिशत कमी है। इसमें विशेष रूप से हरित रसायन, नैनो प्रौद्योगिकी और प्रक्रिया सुरक्षा जैसे उभरते हुए क्षेत्र सम्मिलित हैं।

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Author: ntuser1

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