अयोध्या, शनिवार – रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान तिरुपति से आए तीन टन लड्डू को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया गया था। अब इस लड्डू में मांसाहारी पदार्थों की मिलावट की खबर सामने आने के बाद राम नगरी अयोध्या के संतों और भक्तों में गहरा आक्रोश है। जानकारी के अनुसार, तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसादम लड्डू में गाय की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया था, जिसने हिंदू समाज की धार्मिक भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है।
संतों और भक्तों में गुस्सा
रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा, “अयोध्या में वैष्णव संत और भक्त प्याज और लहसुन का भी उपयोग नहीं करते हैं। ऐसे में प्रसाद में पशुओं की चर्बी मिलने की बात अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ादायक है। यह हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है, और इस कुकृत्य में शामिल लोगों को सख्त से सख्त दंड मिलना चाहिए।”
संतों का कहना है कि यह मिलावट कब से तिरुपति मंदिर के प्रसाद में हो रही थी, इसकी सही जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। देशभर से करोड़ों भक्त तिरुपति मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं और वहां से प्रसाद के रूप में लड्डू प्राप्त करते हैं। इस खुलासे ने उन सभी की आस्था को गहरा झटका दिया है। संतों ने मांग की है कि जो भी संस्था या व्यक्ति इस घिनौनी हरकत में शामिल है, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का स्पष्टीकरण
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के दौरान तिरुपति के लड्डू बांटे जाने का प्रश्न गलत है। “हमने प्राण प्रतिष्ठा में तिरुपति के लड्डू नहीं बांटे। बहुत से भक्तों ने प्राण प्रतिष्ठा के दौरान अपनी श्रद्धा से कई प्रकार के भेंट अर्पित किए थे। यह तिरुपति से जुड़ा मामला है, और इस पर हमारा कोई बयान देना उचित नहीं है,” उन्होंने स्पष्ट किया।
तिरुपति मंदिर के आपूर्तिकर्ता का दावा
तिरुपति बालाजी मंदिर को घी की आपूर्ति करने वाली कंपनी **एआर डेयरी** ने इस मामले पर अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उनके उत्पादों की गुणवत्ता को प्रमाणित किया गया था। तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित फर्म के प्रवक्ता ने बताया, “हमने केवल जून और जुलाई के दौरान तिरुपति मंदिर को घी की आपूर्ति की थी। हर बार घी के साथ विधिवत प्रयोगशाला प्रमाणपत्र भी भेजा गया था। अब तिरुपति मंदिर में हमारा घी नहीं भेजा जा रहा है।”
जांच की मांग
इस घटना ने धार्मिक जगत और आम जनता के बीच हलचल मचा दी है। भक्तों और संतों ने इस पूरे मामले की गहन जांच की मांग की है ताकि इस प्रकार की मिलावट के पीछे के कारणों और जिम्मेदारों का खुलासा हो सके। ऐसी खबरें आस्था के लिए बड़ा आघात हैं और लोगों में धार्मिक स्थानों और प्रसाद की पवित्रता पर सवाल खड़ा कर देती हैं।
यह घटना सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर के करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं से जुड़ी है। इस मामले में उचित जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई से ही भक्तों का विश्वास फिर से बहाल हो सकेगा।

Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.