पंजाब में इस साल पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है, लेकिन दिवाली की रात हुई आतिशबाजी और पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं ने उत्तर भारत की हवा को फिर से जहरीला बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने के मामले भारतीय पंजाब से कहीं अधिक बढ़ गए हैं, जिसका असर पूरे उत्तर भारत की वायु गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) और पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई) चंडीगढ़ की संयुक्त टीम की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आने वाले दो सप्ताह उत्तर भारत के लिए बेहद अहम रहेंगे, क्योंकि धान की कटाई के साथ पराली जलाने की घटनाएं और बढ़ने की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार, 1 सितंबर से 20 अक्तूबर तक पाकिस्तान के पंजाब में 3472 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि भारतीय पंजाब में 471 और हरियाणा में केवल 281 स्थानों पर पराली जली है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस वर्ष पंजाब में 58 प्रतिशत और हरियाणा में 65 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि, पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
दिवाली की रात यानी 20 अक्तूबर को पाकिस्तान के पंजाब में 1750 जगह, भारतीय पंजाब में 200, और हरियाणा में 61 स्थानों पर पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए। इन घटनाओं के चलते दिवाली के बाद से एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में गिरावट दर्ज की जा रही है। पीयू-पीजीआई की टीम सैटेलाइट के जरिए पराली जलाने की निगरानी कर रही है। यह टीम विभागीय रिकॉर्ड से बची घटनाओं पर भी नजर रख रही है ताकि वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके। रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर के पहले सप्ताह में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंचने की संभावना है।
पीजीआई के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल, जो इस अध्ययन का नेतृत्व कर रहे हैं, का कहना है कि धान की कटाई के बढ़ने के साथ पराली जलाने के मामलों में और वृद्धि देखने को मिलेगी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के पंजाब में जल रही पराली का असर पूरे उत्तर भारत, खासकर दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, और पंजाब में ज्यादा दिखाई देगा। पिछले वर्षों के आंकड़ों से तुलना करें तो वर्ष 2024 की दिवाली (1 नवंबर) को पंजाब में 1315, हरियाणा में 165, और पाकिस्तान के पंजाब में 1786 पराली जलाने के मामले सामने आए थे। वहीं 2023 में ये आंकड़े काफी अधिक थे — पंजाब में 9097, हरियाणा में 301, और पाकिस्तान के पंजाब में 1622 मामले दर्ज हुए थे। इस वर्ष हालांकि भारतीय राज्यों में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से उठता धुआं और आतिशबाजी ने हवा की हालत फिर से बिगाड़ दी है।
