गोपाल खेमका मर्डर केस ने बिहार की राजधानी पटना से लेकर पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है। मामला इतना गंभीर है कि राज्य सरकार ने इसे “सरकार के लिए चुनौती” बताते हुए विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया है। लेकिन अब इस हत्याकांड से जुड़ी जांच एक नए मोड़ पर आ गई है, जब पटना के आदर्श केंद्रीय कारा बेउर में की गई औचक छापेमारी में तीन मोबाइल फोन और प्रतिबंधित सामान बरामद हुए।
छापेमारी का नेतृत्व पटना प्रमंडल के आयुक्त और प्रक्षेत्र के महानिरीक्षक ने किया। इस दौरान जेल के भीतर गहन तलाशी ली गई, जिसमें तीन मोबाइल फोन के अलावा अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं भी बरामद की गईं। जांच के दौरान जेल प्रशासन की लापरवाही भी सामने आई। ड्यूटी में चूक के चलते कक्षपाल अंतोष कुमार सिंह, आशीष कुमार और ओम कुमार गुप्ता को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। वहीं वरिष्ठ अधिकारी नीरज कुमार रजक, गिरीज यादव और उपाधीक्षक अजय कुमार से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
जेल अधीक्षक नीरज कुमार झा ने कहा कि यदि आगे की जांच में और किसी की संलिप्तता सामने आती है तो उसके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। छापेमारी के दौरान लगभग 100 कैदियों से पूछताछ की गई, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कुछ अहम सुराग हाथ लग सकते हैं। इस हत्याकांड पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि “यह घटना सरकार के लिए एक कड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट आदेश दिया है कि कोई भी अपराधी बच नहीं पाएगा, चाहे वह कहीं भी छिपा हो।” उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि आम व्यापारियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी।
लगातार जेल से मोबाइल बरामदगी और अंदर फैली अव्यवस्था पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। क्या जेल से ही हत्याकांड की साजिश रची गई थी? यह बड़ा सवाल अब जांच एजेंसियों के सामने है।
Author: Sweta Sharma
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