नई दिल्ली। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी को हुई भगदड़ मामले में एक नया मोड़ आ गया है। भगदड़ से प्रभावित यात्रियों ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उन्होंने टिकट की रकम वापस पाने की मांग की थी। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यात्रियों को उचित मंच पर जाकर अपनी मांगें रखनी होंगी, क्योंकि यह एक सार्वजनिक कर्तव्य निभाने में विफलता का मामला हो सकता है, लेकिन इससे जुड़े वित्तीय नुकसान के लिए जनहित याचिका का सहारा नहीं लिया जा सकता।
यह याचिका उन यात्रियों की ओर से दायर की गई थी, जो घटना के दिन अपनी ट्रेन में सवार नहीं हो सके थे। उनका दावा था कि रेलवे ने उन्हें टिकट का पैसा वापस नहीं किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी यात्री को व्यक्तिगत रूप से नुकसान हुआ है, तो वह अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर सकते हैं, लेकिन जनहित याचिका के तहत ऐसे दावों पर सुनवाई नहीं हो सकती।
15 फरवरी की रात हुए इस दर्दनाक हादसे के बाद रेलवे प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। दिल्ली के मंडल रेलवे प्रबंधक सुखविंदर सिंह समेत चार अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया है। इसके अलावा, कई अन्य रेलकर्मियों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। इस मामले की जांच के लिए रेलवे ने दो सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट जल्द आने की उम्मीद है।
15 फरवरी की रात स्टेशन पर अचानक अफरा-तफरी मच गई थी, जिसमें 18 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस घटना ने रेलवे की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे प्रशासन पर लगातार दबाव बढ़ रहा है, जबकि भगदड़ के पीछे की असली वजह अब भी जांच के दायरे में है।
