मध्य प्रदेश की औद्योगिक नगरी पीथमपुर आज सिर्फ उद्योगों के लिए नहीं, बल्कि स्वच्छता के नवाचारों और प्रभावशाली कार्यशैली के लिए भी देशभर में पहचान बना रही है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के अंतर्गत यहां नगर पालिका परिषद ने न सिर्फ घर-घर से कचरा संग्रहण और स्रोत पृथक्करण को प्राथमिकता दी है, बल्कि कचरे से राजस्व और उत्पाद तैयार कर एक नया मॉडल प्रस्तुत किया है। नगर परिषद पीथमपुर द्वारा रोज़ाना 31 वार्डों से लगभग 42 टन कचरा एकत्रित किया जाता है, जिसमें 23 टन गीला और 18 टन सूखा कचरा होता है। कचरा संग्रहण के लिए 43 समर्पित वाहन लगाए गए हैं, जो जीपीएस तकनीक से लाइव ट्रैक किए जाते हैं। विशेष बात यह है कि यहां ई-वेस्ट और सैनिटरी वेस्ट के लिए अतिरिक्त बिन लगाए गए हैं, जिससे हर वाहन में चार लिटरबिन मौजूद होते हैं—एक सटीक और समग्र कचरा पृथक्करण का उदाहरण।
पीथमपुर ने एकल-उपयोग प्लास्टिक को प्लास्टिक ब्रिकेट में बदलकर, रीसाइक्लिंग और सर्कुलर इकोनॉमी को नई गति दी है। साथ ही, लीगेसी वेस्ट के समाधान के लिए लैंडफिल साइट के बोझ को भी कम किया गया है।
शहर ने “वेट वेस्ट टू कंपोस्ट” मॉडल को अपनाकर गीले कचरे से कंपोस्ट खाद तैयार करना शुरू किया है, जिससे न केवल कचरे में कमी आई है बल्कि स्थायी कृषि को भी बल मिला है।
राज्य में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTP) स्थापित करने वाला पीथमपुर पहला नगर निकाय बन गया है, जो तरल अपशिष्ट प्रबंधन में भी अग्रणी है।
स्वच्छता केवल ढांचा नहीं, जनआंदोलन बने, इसके लिए जन प्रतिनिधियों से लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों तक, सभी नियमित रूप से निरीक्षण में शामिल होते हैं। रात्रिकालीन सफाई, मशीनीकरण और समुदाय की भागीदारी से यहां न केवल सफाई व्यवस्था बेहतर हुई है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
इंदौर और भोपाल की तरह, अब पीथमपुर भी स्वच्छता की अग्रणी नगरी बनकर उदाहरण पेश कर रहा है—न केवल मध्य प्रदेश के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए।

Author: Sweta Sharma
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