पटना – बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इस बार का मुकाबला खासा दिलचस्प होने जा रहा है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की एंट्री से बिहार की राजनीति में नई हलचल मच गई है। जहां प्रशांत किशोर अपनी पार्टी ‘जन सुराज’ के साथ पहले ही मैदान में उतर चुके हैं, वहीं आरसीपी सिंह ने भी घोषणा कर दी है कि वे जल्द ही एक नई पार्टी बनाएंगे। इससे एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के समीकरणों पर असर पड़ सकता है।
प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह की नई रणनीति
प्रशांत किशोर ने ‘जन सुराज’ के नाम से अपनी पार्टी बना ली है, जबकि आरसीपी सिंह ने हाल ही में अपनी पार्टी बनाने की घोषणा की। आरसीपी सिंह, जो लंबे समय तक जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का हिस्सा रहे हैं, ने यह कदम नीतीश कुमार की राजनीति के खिलाफ उठाया है। जेडीयू से अलग होने के बाद, आरसीपी सिंह ने दावा किया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू अब अपने अंत की ओर है, और वह खुद एक नया विकल्प लेकर आएंगे। उनके करीबी सहयोगियों का कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य नीतीश कुमार के वोट बैंक और कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ना है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषक संतोष कुमार का मानना है कि जेडीयू का वोट बैंक अभी भी 13 से 14 प्रतिशत है और यह नीतीश कुमार के रहते कभी समाप्त नहीं होगा। हाल के चुनावों में भी यह देखा गया है कि नीतीश का समर्थन बरकरार है। लेकिन आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर के मैदान में उतरने से नीतीश कुमार को काफी नुकसान हो सकता है। खासकर आरसीपी सिंह जेडीयू के भीतर से वोट काट सकते हैं, जो नीतीश के लिए हानिकारक होगा।
कौन होगा सबसे ज्यादा प्रभावित?
संतोष कुमार के अनुसार, प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह की पार्टियों का प्रभाव जेडीयू और आरजेडी पर अधिक पड़ेगा। प्रशांत किशोर आरजेडी के मुस्लिम वोट बैंक को कमजोर कर सकते हैं, जबकि आरसीपी सिंह जेडीयू के परंपरागत वोटों में सेंध लगा सकते हैं। खासकर जेडीयू के वो कार्यकर्ता और नेता जो आरसीपी सिंह के संपर्क में रहे हैं, वे उनका साथ दे सकते हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में भी करीब 25 से 30 सीटों पर आरजेडी मामूली अंतर से हारी थी। ऐसे में अगर आरसीपी सिंह अपनी नई पार्टी के साथ कुछ हजार वोट भी काटते हैं, तो यह जेडीयू के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। वहीं, प्रशांत किशोर का फोकस आरजेडी के कोर वोट बैंक पर होगा, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
बीजेपी को क्या फायदा?
हालांकि, आरसीपी सिंह से बीजेपी को नुकसान होने की संभावना कम है। बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक स्थिर रहता है और इधर-उधर नहीं होता। प्रशांत किशोर आरजेडी को कमजोर करेंगे, जिससे बीजेपी को लाभ हो सकता है। जहां-जहां जेडीयू और बीजेपी के प्रत्याशी होंगे, वहां भी बीजेपी को फायदा मिल सकता है क्योंकि प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह दोनों का मकसद नीतीश कुमार को कमजोर करना है।
2025 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह की पार्टियां दोनों गठबंधनों के लिए चुनौती खड़ी कर सकती हैं। जहां नीतीश कुमार को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है, वहीं आरजेडी को भी मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगने का खतरा रहेगा। बीजेपी फिलहाल इस समीकरण में सुरक्षित नजर आ रही है, लेकिन असली तस्वीर चुनावी नतीजों के बाद ही साफ होगी।
2025 का बिहार विधानसभा चुनाव कई राजनीतिक दांव-पेंचों का गवाह बनेगा, और प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह की एंट्री ने इसे और भी दिलचस्प बना दिया है।

Author: Sweta Sharma
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