नई दिल्ली। भारत इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो को आमंत्रित कर सकता है। हालांकि, भारत सरकार ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। पहले खबर थी कि राष्ट्रपति सुबियांटो भारत के बाद पाकिस्तान का दौरा करेंगे, लेकिन अब यह जानकारी आई है कि वह पाकिस्तान की बजाय मलेशिया का दौरा करेंगे। इस बदलाव के बाद यह संभावना बढ़ गई है कि वे गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हो सकते हैं।
यह दौरा भारत की विदेश नीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करना चाहता है। यदि यह यात्रा होती है, तो यह 1950के बाद चौथा मौका होगा जब कोई इंडोनेशियाई नेता भारत के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
भारत केवल उन देशों के नेताओं को गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर बुलाता है, जिनके साथ उसके मजबूत और मित्रवत कूटनीतिक संबंध होते हैं। इंडोनेशिया, जो भारत का करीबी समुद्री पड़ोसी है, दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रिश्ते हैं। यह निमंत्रण इन रिश्तों को और मजबूत करने का एक अहम कदम होगा।
मुख्य अतिथि का चयन छह महीने पहले शुरू होता है और इसमें विदेश मंत्रालय की भूमिका अहम होती है। इस प्रक्रिया में यह देखा जाता है कि भारत और संबंधित देश के संबंध कितने अच्छे हैं। यह निर्णय राजनीतिक, आर्थिक और वाणिज्यिक हितों को ध्यान में रखकर लिया जाता है। विदेश मंत्रालय संभावित देशों की सूची तैयार करता है, जिसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मंजूरी के लिए भेजा जाता है।
भारत ने 26 जनवरी 1950 से गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथियों को आमंत्रित करना शुरू किया था। उस समय इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य अतिथि थे। इसके बाद से हर साल दुनिया के विभिन्न देशों के नेता गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते रहे हैं।
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि का चयन भारत और उस देश के रिश्तों को मजबूत बनाने का संकेत है। यह भारत की कूटनीतिक नीति का अहम हिस्सा है, जिससे वैश्विक संबंधों को बढ़ावा मिलता है और दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग मजबूत होता है।
