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रवि प्रदोष: आरोग्यता और सिद्धि

आज है रवि प्रदोष व्रत

रविवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव और सूर्य देव दोनों की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ होता है 

निश्चय टाइम्स डेस्क। आज का दिन आस्था और आध्यात्म से भरपूर है, क्योंकि आज रखा जा रहा है रवि प्रदोष व्रत। जब प्रदोष तिथि रविवार को आती है, तब उसे रवि प्रदोष कहा जाता है, जो भगवान शिव के साथ सूर्य देव की आराधना के लिए भी अत्यंत शुभ होता है। यह व्रत भगवान शिव के रौद्र रूप ‘रुद्र’ को समर्पित होता है और विशेष रूप से आरोग्य, दीर्घायु, पितृ दोष निवारण और सूर्य-शनि दोष शांति के लिए किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी श्रद्धा से यह व्रत करता है, उसे जीवन में कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होती और सभी कार्यों में सफलता मिलती है। यह व्रत हर माह के शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। रविवार होने के कारण इसमें सूर्य की आरोग्य शक्ति भी जुड़ जाती है, जिससे शरीर और आत्मबल दोनों मजबूत होते हैं।

व्रत से जुड़ी खास मान्यताएं:

  • जीवन से बाधाएं दूर होती हैं

  • रोगों से मुक्ति मिलती है

  • मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं

  • पापों का क्षय होता है

  • मृत्यु के भय से राहत मिलती है

शिव मंत्र

पंचाक्षरी मंत्र:
ॐ नमः शिवाय
(जप संख्या: 108 बार, रुद्राक्ष माला से)

महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
(जप संख्या: 11, 21 या 108 बार, रुद्राक्ष माला से)

रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रविवार यानी 8 जून को है। रविवार को प्रदोष व्रत होने से इस दिन के प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के तौर पर माना जाएगा। ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथि 8 जून सुबह 7.17 बजे शुरू होगी और 9 जून को 9.35 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के चलते रविवार 8 जून को रवि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। रवि प्रदोष व्रत के दिन स्वाति और विशाखा नक्षत्र का संयोग बनेगा। इसके साथ प्रदोष व्रत पर शिव योग का भी सुंदर संयोग बन रहा है।

रवि प्रदोष व्रत का महत्व
रवि प्रदोष व्रत को लेकर मान्यता है कि इसका व्रत पूरी निष्ठा के साथ करने से परिवार में सुख शांति आती है। समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है। इसके साथ ही भोलेनाथ की कृपा से आत्मविश्वास बढ़ता है। रवि प्रदोष व्रत रखने वाले को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है और भोलेनाथ दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं। रवि प्रदोष व्रत पितृ दोष निवारण के लिए भी अहम माना जाता है। इसके साथ ही रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है इसलिए रवि प्रदोष व्रत रखने से कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती ।

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Author: ntuser1

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