निश्चय टाइम्स, डेस्क। मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार वित्त वर्ष 2020-21 से तमिलनाडु राज्य सहित सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 20,050 करोड़ रुपए के निवेश से एक प्रमुख योजना “प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)” को कार्यान्वित कर रहा है। PMMSY के अंतर्गत अन्य बातों के साथ-साथ पारंपरिक मछुआरों के लिए डीप सी फिशिंग वेसल्स के अधिग्रहण और पारंपरिक मछुआरों के लिए नावों (रिप्लेसमेंट) और जालों की खरीद के लिए सहायता प्रदान की जाती है। विगत पांच वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25) के दौरान मत्स्यपालन विभाग भारत सरकार ने 17.28 करोड़ रुपए के केंद्रीय अंश सहित कुल 60 करोड़ रुपए की लागत से 50 डीप सी फिशिंग वेसल्स के अधिग्रहण और 25 करोड़ रुपए के कुल निवेश पर पारंपरिक मछुआरों को 500 नाव (रिप्लेसमेंट) और जाल प्रदान करने के तमिलनाडु सरकार के प्रस्तावों को स्वीकृति दी है। PMMSY के तहत लाभ प्रदान करने के लिए लाभार्थियों का चयन संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किया जाता है और PMMSY के अंतर्गत उन मछुआरों को डीप सी फिशिंग वेसल्स उपलब्ध कराने पर प्रतिबंध नहीं है जिनकी नाव को श्रीलंका के अधिकारियों ने जब्त कर लिया है। तमिलनाडु सरकार को पूर्व में भी सलाह दी गई है कि वह उन मछुआरों को डीप सी फिशिंग वेसल्स उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दे जिनकी नाव श्रीलंकाई प्राधिकारियों द्वारा जब्त कर ली गई है।
(ख): मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने तमिलनाडु सरकार के राज्य में 3 करोड़ रुपए की लागत से तीन रिटेल फिश मारकेट के निर्माण और 5.50 करोड़ रुपए की लागत से 55 फिश कियोस्क की स्थापना के प्रस्तावों को भी स्वीकृति दी है। तमिलनाडु सरकार ने सूचित किया है कि राज्य में 2020-21 के दौरान 13 इकाइयों सहित कुल 34 कियोस्क और वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 21 कियोस्क स्थापित किए गए हैं और मयिलादुथुराई निर्वाचन क्षेत्र में कोई फिश कियोस्क स्थापित नहीं किया गया है।
PMMSY के अंतर्गत, अन्य बातों के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े सक्रिय पारंपरिक मछुआरा परिवारों को मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/मंद अवधि के दौरान मात्स्यिकी संसाधनों के संरक्षण के लिए आजीविका और पोषण संबंधी सहायता प्रदान की जाती है, जिसे प्रतिवर्ष लागू किया जाता है। यह गतिविधि राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से कार्यान्वित की गई है और सरकारी सहायता सामान्य राज्यों के लिए 50:50 के अनुपात में, पूर्वोत्तर राज्यों और हिमालयी राज्यों के लिए 80:20 के अनुपात में जबकि केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% के अनुपात में साझा की जाती है। विगत पाँच वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25) के दौरान मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 492.39 करोड़ रुपए के केंद्रीय अंश सहित कुल 1388.36 करोड़ रुपए की लागत पर 29,89,567 (औसतन 5.95 लाख वार्षिक) मछुआरों को आजीविका और पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की है।
