Exit Poll 2024 : जैसा कि हाल ही में संपन्न हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल्स और ओपिनियन पोल्स से पता चलता है, दोनों राज्यों के राजनीति में कई दिलचस्प बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इन परिणामों पर व्यक्तिगत दृष्टिकोण से विचार करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि चुनावी नतीजों से जनता की अपेक्षाएं और राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
हरियाणा में कांग्रेस की संभावनाएं:
हरियाणा में एग्जिट पोल्स ने कांग्रेस के लिए मजबूत प्रदर्शन की संभावना दिखाई है। 12 सर्वे एजेंसियों के पोल ऑफ पोल्स में कांग्रेस को 56 सीटें मिलती दिख रही हैं, जो बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटों से काफी अधिक है। इसका मतलब यह हो सकता है कि 10 साल बाद हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बन सकती है।
यहां एक दिलचस्प बात यह है कि जाट वोट बैंक का बंटवारा भी इसका बड़ा कारण हो सकता है। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जाट वोटर्स के खिसकने से काफी नुकसान हुआ था, और इस बार कांग्रेस को उसी का फायदा मिल सकता है।
हालांकि, यह भी ध्यान रखने योग्य है कि हरियाणा की राजनीति में छोटी पार्टियां और निर्दलीय उम्मीदवार किंगमेकर की भूमिका निभाते आए हैं। इसलिए, अगर कांग्रेस बहुमत से चूकती है तो गठबंधन और समर्थन की राजनीति बेहद अहम होगी।
जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना:
जम्मू-कश्मीर की राजनीति हमेशा से ही अलग और जटिल रही है। 10 साल बाद हुए इन चुनावों में एग्जिट पोल्स के आधार पर किसी भी एक पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को 40 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत है।
यहां पर सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि महबूबा मुफ्ती की PDP और निर्दलीय उम्मीदवार किंगमेकर की भूमिका में आ सकते हैं। 2014 के चुनाव में भी हमें ऐसी स्थिति देखने को मिली थी, जहां भाजपा और PDP ने मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन गठबंधन लंबे समय तक नहीं चला, जिससे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा।
व्यक्तिगत समीक्षा और संभावित नतीजे:
इन चुनावी आंकड़ों को देखते हुए, यह कहना मुश्किल नहीं है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बन सकती है। भाजपा को बहुमत से काफी पीछे दिखाया जा रहा है, लेकिन राजनीति में आखिरी पल के बदलाव आम बात है।
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता और गठबंधन की राजनीति से एक बार फिर से त्रिशंकु विधानसभा की संभावना है। महबूबा मुफ्ती और अन्य छोटे दल और निर्दलीय विधायक इस बार किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं।
अंत में, एग्जिट पोल्स के आधार पर यह कहना आसान है कि दोनों राज्यों में बड़ी राजनीतिक गतिविधियां देखने को मिलेंगी। इन राज्यों के चुनावी नतीजे देश की राजनीति पर भी असर डाल सकते हैं, खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर।

Author: Sweta Sharma
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