गुलाब, एक ऐसा फूल जो दुनिया भर में प्यार, इज्जत और शाही ठाठ-बाट का प्रतीक बना हुआ है। चाहे वह भारत हो या दुनिया का कोई कोना, गुलाब के बिना कोई भी जश्न अधूरा लगता है। इसके उपयोग से लेकर इसके इतिहास तक, गुलाब ने अपने सफर में कई दिलचस्प मोड़ देखे हैं। इस फूल की कहानी करीब 3.3 करोड़ साल पहले शुरू होती है जब यह ओलिगोसीन युग में यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में पाया जाता था।
गुलाब की पहली प्रजाति और चीन में खेती
गुलाब की पहली प्रजाति को 1883 में वैज्ञानिक चार्ल्स लियो लेस्क्यूरेक्स ने ‘रोजा हिलिया’ नाम से पहचाना। गुलाब के इस सफर की शुरुआत को चीन से जोड़ा जा सकता है, जहां 3000 ईसा पूर्व में पालतू गुलाबों की खेती शुरू हुई थी। इस समय गुलाब का उपयोग सिर्फ सजावट के रूप में ही नहीं, बल्कि औषधीय उद्देश्यों के लिए भी किया जाता था।
भारत में गुलाब का इतिहास
भारत में गुलाब की अहमियत मुगलों के समय से शुरू हुई। सम्राट बाबर को गुलाब बेहद पसंद था, और उन्होंने ईरान से गुलाब के फूल मंगवाए। बाबर की 4 बेटियों के नाम भी गुलाब पर आधारित थे—गुल चिहरा, गुलरुख, गुलबदन और गुलरंग। मुगलों ने भारत में गुलाब के बागीचे बनाए, जिनमें प्रसिद्ध शालीमार गार्डन और ताजमहल शामिल हैं।
मिस्रवासी और रोमनों के बीच गुलाब की महिमा
प्राचीन मिस्र में गुलाब का जल का उपयोग शरीर को सुगंधित करने के लिए किया जाता था, और गुलाब की पंखुड़ियों से महल के आंगन को सजाया जाता था। रोमनों ने भी बड़े पैमाने पर गुलाब के बगीचे लगाए, और इनकी खुशबू को धार्मिक और चिकित्सा कार्यों में इस्तेमाल किया गया।
गुलाब और भारत के शाही परिवार
मुगल काल में गुलाब की महिमा का एक और उदाहरण देखने को मिलता है, जब जहांगीर और शाहजहां अपने दरबार में गुलाब की खुशबू का आनंद लेते थे। शाही महलों में गुलाब का पानी बनवाकर शाही परिवारों द्वारा इसका उपयोग होता था। गुलाब के इत्र का आविष्कार भी मुगलों की बेगम नूरजहां ने किया था।
गुलाब के तेल की कीमतें और आज का गुलाब उद्योग
आज गुलाब की खेती भारत के कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में होती है। एक लीटर गुलाब के तेल को प्राप्त करने के लिए करीब 4000 किलो गुलाब के फूलों की आवश्यकता होती है, और यह तेल वैश्विक बाजार में 25-30 लाख रुपए प्रति लीटर की कीमत पर बिकता है।
गुलाब के फूल की वैश्विक फ्लावर इंडस्ट्री अब 3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है, और भारत में इस उद्योग का कारोबार 23 हजार करोड़ रुपए के पार है। गुलाब अब सिर्फ एक फूल नहीं, बल्कि एक समृद्ध और ऐतिहासिक धरोहर बन चुका है।
गुलाब की यह यात्रा न केवल इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि कैसे यह फूल हर दौर में लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुका है।

Author: Sweta Sharma
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