वाराणसी: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ठिकानों पर करारा जवाब दिया। इस कार्रवाई की पूरे देश में सराहना हो रही है, खासकर संत समाज ने इसे भारतीय सेना की बहादुरी और राष्ट्र के आत्मसम्मान का प्रतीक बताया है।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, “यह ऑपरेशन भारतीय सशस्त्र बलों की शक्ति और साहस का जीवंत उदाहरण है। भारत ने जो जवाब दिया है, वह आतंकवाद के खिलाफ देश की जीरो टॉलरेंस नीति को मजबूती से प्रस्तुत करता है। संत समाज प्रधानमंत्री और सेना के साथ मजबूती से खड़ा है।”
तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि भारत ने सिर्फ जवाब नहीं दिया, बल्कि एक संदेश भी दिया है – कि भारत आतंकवाद पर चुप नहीं बैठता। उन्होंने कहा, “पीओके को भारत में सम्मिलित होते देखना अब सिर्फ समय की बात है। जब वह दिन आएगा, देश में दीवाली मनाई जाएगी।”
अयोध्या के श्री हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने ऑपरेशन सिंदूर को सैनिकों की बहादुरी और प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ बदला नहीं, एक चेतावनी है उन सभी गद्दारों के लिए जो आतंकवादियों का समर्थन करते हैं।”
राजस्थान हेरिटेज विकास प्राधिकरण के चेयरमैन ओंकार सिंह लखावत ने कहा, “भारत आक्रांता नहीं, लेकिन जब चुनौती दी जाती है तो जवाब देना हमारी परंपरा है। हर नागरिक की रक्षा हमारा धर्म है।”
अयोध्या भूमि विवाद मामले के पूर्व मुकदमाकर्ता इकबाल अंसारी ने भी सेना की तारीफ करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की रणनीतिक शक्ति और राष्ट्रीय इच्छाशक्ति का प्रमाण है। “हमारी सेना जानती है कि दुश्मनों को कैसे जवाब दिया जाए।”
संत समाज और नागरिकों की एकजुटता इस बात का संकेत है कि भारत की जनता आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाने के लिए पूरी तरह से एकमत है। ऑपरेशन सिंदूर अब केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की चेतावनी है—देश पर हाथ डालोगे, तो जवाब मिलेगा।
Author: Sweta Sharma
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