लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) ने सोमवार को चुनाव आयोग द्वारा जारी उस दिशा-निर्देश का कड़ा विरोध किया, जिसमें बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्रों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से बुर्का पहनने वाली महिला मतदाताओं की पहचान सत्यापित करने का प्रावधान किया गया है। सपा ने इसे “लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया” के खिलाफ बताया और आयोग से तत्काल इस निर्णय को वापस लेने की मांग की।
सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने लखनऊ में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यह निर्देश न केवल बिहार चुनाव के लिए लागू किया जा रहा है, बल्कि भविष्य में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी इसे लागू करने की तैयारी है, जो बेहद चिंताजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों के दबाव में यह कदम उठाया गया है, जिससे एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। पाल ने कहा कि मुख्य चुनाव आयोग का यह निर्देश आयोग के अपने नियमों के खिलाफ है। उन्होंने “रिटर्निंग ऑफिसर की हैंडबुक” के एक पैराग्राफ का हवाला देते हुए बताया कि किसी भी मतदाता की पहचान सत्यापन का अधिकार केवल अधिकृत चुनाव कर्मियों के पास होता है, न कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के।
ज्ञापन में समाजवादी पार्टी ने कहा कि यह निर्देश संविधान की मूल भावना के विपरीत है, जो समानता और गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से एक समुदाय विशेष के मतदाताओं को भय और संदेह के माहौल में वोट डालने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की भावना प्रभावित होगी। पार्टी ने यह भी कहा कि निर्देश चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। सपा ने आयोग से मांग की कि वह तत्काल इस निर्देश को वापस ले और सुनिश्चित करे कि भविष्य में किसी भी समुदाय या वर्ग के साथ भेदभाव न हो।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने हाल ही में कहा था कि बिहार चुनाव के दौरान बुर्का पहनने वाली महिला मतदाताओं की पहचान सत्यापित करने में मदद के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मतदान केंद्रों पर मौजूद रहेंगी। आयोग का तर्क था कि यह निर्णय वोटिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए है। हालांकि, सपा का कहना है कि यह निर्णय न केवल असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है, बल्कि इससे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और महिलाओं की निजता पर भी सवाल खड़े होते हैं। पार्टी ने चेतावनी दी कि अगर यह दिशा-निर्देश वापस नहीं लिया गया, तो वह जनआंदोलन के माध्यम से विरोध करेगी।
