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संभल: दशहरे पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में दशहरे के दिन प्रशासन ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए एक बड़ी कार्रवाई की। गुरुवार सुबह जिला प्रशासन ने रावा बुजुर्ग गाँव में सरकारी ज़मीन पर बने एक अवैध मैरिज हॉल को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई पूरी तरह से सुरक्षा घेरे में हुई, जहाँ लगभग 200 पुलिसकर्मी और प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) के जवान तैनात रहे। इसके साथ ही कार्रवाई पर नज़र रखने के लिए ड्रोन कैमरों का भी इस्तेमाल किया गया।

एसडीएम विकास चंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मैरिज हॉल सरकारी तालाब की ज़मीन पर बनाया गया था। गाँव के राजस्व अभिलेखों में प्लॉट संख्या 691 तालाब के लिए और प्लॉट संख्या 459 खाद के गड्ढे के लिए दर्ज है। चूँकि मैरिज हॉल तालाब की ज़मीन पर था, इसलिए इसे ध्वस्त किया गया।

इसी गाँव में खाद के गड्ढे की ज़मीन पर बनी एक मस्जिद को भी प्रशासन ने नोटिस जारी किया है। हालांकि, मस्जिद प्रबंधन समिति ने ज़िला प्रशासन से चार दिन का समय मांगा है। समिति के प्रतिनिधियों ने ज़िला मजिस्ट्रेट से चर्चा कर स्वेच्छा से अवैध निर्माण हटाने पर सहमति जताई। प्रशासन का कहना है कि इस सहयोग से किसी भी तरह की कानून-व्यवस्था की स्थिति से बचा जा सकेगा।

ज़िला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी प्रावधानों के तहत की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यहाँ 2,310 वर्ग मीटर का तालाब दर्ज था जिस पर अवैध कब्ज़ा किया गया था। तहसीलदार न्यायालय के आदेशों के अनुसार, धारा 67 के तहत कार्रवाई की गई। राजस्व और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में प्रशासनिक टीम ने निगरानी के साथ यह ध्वस्तीकरण किया।

संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि अतिक्रमणकारियों को पहले ही पर्याप्त समय दिया गया था। उन्हें नोटिस जारी कर 30 दिन का समय दिया गया था, लेकिन कोई कदम नहीं उठाए जाने के बाद प्रशासन को मजबूरन बुलडोज़र चलाना पड़ा।

इस बीच समाजवादी पार्टी के सांसद ज़ियाउर रहमान बर्क ने इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि बुलडोज़र नीति असंवैधानिक है और यह न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। उनका कहना था कि दंड देना केवल न्यायपालिका का अधिकार है, प्रशासन का नहीं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद सरकार पुलिस के दबाव में ऐसी कार्रवाई कर रही है। बर्क के अनुसार, इससे कानून का शासन और लोकतांत्रिक मूल्य कमज़ोर होते हैं।

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Author: ntuser1

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