संभल के चंदौसी में दशकों से मिट्टी और कचरे में दबी प्राचीन राजा की बावड़ी का दूसरा तल सामने आ गया है। बावड़ी की खोदाई के दौरान पत्थरों से बनी संरचनाएं, सुरंगनुमा रास्ते और सीढ़ियां मिली हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बावड़ी तीन मंजिला है। नगर पालिका के सहयोग और एएसआई की देखरेख में खोदाई कार्य जारी है।
दूसरी मंजिल का गेट और कुएं की संरचना मिली
मंगलवार को खोदाई के दौरान बावड़ी की दूसरी मंजिल का गेट नजर आया। इसके अलावा, जिस स्थान पर कुआं होने की संभावना थी, वहां खोदाई के बाद चारों ओर के गेट भी दिखने लगे। दूसरी मंजिल तक जाने वाली सीढ़ियों में 19 पैड़ियां मिली हैं। कुएं वाली जगह का गेट आर-पार खुला है।
पुरातत्व विभाग को सौंपने की मांग
राजा चंद्र विजय सिंह के प्रतिनिधि कौशल किशोर वंदेमातरम् ने डीएम को पत्र देकर बावड़ी को पुरातत्व विभाग अथवा पर्यटन विभाग को सौंपने की मांग की है। उनका कहना है कि यह प्राचीन धरोहर चंदौसी के लोगों के लिए पर्यटन स्थल बन सकती है। पुराने भूलेखों के अनुसार, यह बावड़ी सहसपुर बिलारी रियासत की संपत्ति थी, जिसे भूमाफिया ने नुकसान पहुंचाया था।
शंखनाद के बाद बढ़ी सुरक्षा
रविवार को एक युवक ने बावड़ी में शंखनाद किया था, जिसके बाद हिंदू संगठन और अन्य समुदायों के बीच तनाव बढ़ा। सोमवार को एक भगवा वस्त्रधारी युवक ने बांकेबिहारी मंदिर के खंडहर में शंखनाद किया, जिससे आपत्ति जताई गई। मौके पर पीएसी तैनात है और बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
पर्यटन स्थल बनने की उम्मीद
बावड़ी की प्राचीनता और अद्वितीय वास्तुकला इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण बनाती है। उत्तर प्रदेश में बावड़ी निर्माण की कम प्रथा होने के कारण यह स्थल और भी खास है। नगर पालिका और पुरातत्व विभाग के सहयोग से इसे संरक्षित कर पर्यटन स्थल में तब्दील करने की तैयारी की जा रही है।

Author: Sweta Sharma
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