शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए दाखिल याचिका के आधार पर अदालत द्वारा सर्वे का आदेश दिए जाने के बाद रविवार (24 नवंबर) को सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई। उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, वाहनों में आग लगाई, और चार लोगों की मौत हो गई। हिंसा में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
घटनाक्रम की टाइमलाइन:
-
19 नवंबर:
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा याचिका दाखिल की गई, जिसमें शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताया गया। अदालत ने मुस्लिम पक्ष को सुने बिना सर्वे का आदेश दिया और सात दिन में सर्वे पूरा करने को कहा। -
19 नवंबर शाम:
कोर्ट कमिश्नर की टीम ने मस्जिद का पहला सर्वे वीडियोग्राफी के साथ पूरा किया। -
22 नवंबर:
जुमे की नमाज के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। 7 थानों की पुलिस तैनात रही और सीसीटीवी से निगरानी रखी गई। -
24 नवंबर सुबह:
दूसरे चरण के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर की टीम सुबह 7 बजे मस्जिद पहुंची। इस दौरान मस्जिद के बाहर खड़ी पुलिस टीम पर उग्र भीड़ ने पथराव कर दिया।-
पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की।
-
हिंसा के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई पुलिसकर्मी घायल हुए।
-
इस बवाल के बीच सर्वे कार्य रुक गया और बाद में शांति बहाल होने पर 11 बजे सर्वे टीम ने काम पूरा किया।
-
प्रशासनिक कदम:
-
स्कूल और इंटरनेट बंद:
हिंसा को देखते हुए 25 नवंबर को संभल तहसील में नर्सरी से 12वीं तक के सभी स्कूल बंद कर दिए गए। इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गईं।
-
गिरफ्तारी:
अब तक हिंसा से जुड़े 21 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
-
नेताओं की एंट्री प्रतिबंधित:
किसी भी नेता या संगठन की शहर में बिना इजाजत एंट्री पर रोक लगा दी गई है।
विभिन्न नेताओं की प्रतिक्रिया:
-
अखिलेश यादव (सपा मुखिया):
“संभल में शांति बनाए रखें। अन्याय का शासन ज्यादा दिन नहीं चलता। सरकार बदलेगी और न्याय का युग आएगा।” -
मायावती (बसपा सुप्रीमो):
“सर्वे के दौरान हिंसा के लिए शासन और प्रशासन जिम्मेदार हैं। दोनों पक्षों के बीच समन्वय जरूरी था।” -
राहुल गांधी (कांग्रेस सांसद):
“संभल की हिंसा भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता और पक्षपातपूर्ण रवैये का नतीजा है। मेरी संवेदनाएं मृतकों के परिवारों के साथ हैं।” -
चंद्र शेखर आजाद (आजाद समाज पार्टी):
“यह घटना पुलिस, प्रशासन और सरकार की विफलता है। धार्मिक स्थलों पर बार-बार दावा करना समाज में हिंसा को बढ़ावा देता है।”
प्रशासन का बयान:
मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई। हिंसा भड़काने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे किसी भी पद पर हों।
मुस्लिम पक्ष का रुख:
मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए सर्वे का विरोध किया है। सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन ने इसे कानून का उल्लंघन बताया।

Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.