नई दिल्ली। दिल्ली के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने 21 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित मैदान में उतरेंगे । पटपड़गंज से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक अनिल चौधरी को टिकट दिया गया है। इस सीट से आम आदमी पार्टी ने अवध ओझा को टिकट दिया है। पहले पटपड़गंज आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का विधानसभा क्षेत्र था। कांग्रेस ने नरेला से अरुणा कुमारी, बुराड़ी से मंगेश त्यागी, आदर्श नगर से शिवंक सिंघल, बदली से देवेंदर यादव, सुल्तानपुर माजरा से जय किशन, नांगलोई जाट से रोहित चौधरी, शालीमार बाग से प्रवीण जैन, वजीरपुर से रागिनी नायक, सदर बाजार से अनिल भारद्वाज को टिकट दिया है।
चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से मुदित अग्रवाल, बल्लीमारन से हारून यूसुफ, तिलक नगर से पीएस बावा, द्वारका से आदर्श शास्त्री, नई दिल्ली से संदीप दीक्षित, कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त, छतरपुर से राजिंदर तंवर और अंबेडकर नगर से जय प्रकाश को उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस ने ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट पर गर्वित सिंघवी, पटपड़गंज सीट पर अनिल कुमार, सीलमपुर सीट पर अब्दुल रहमान और मुस्तफाबाद सीट पर अली महंदी को प्रत्याशी बनाया है।
दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने के रूप में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने एक अहम कदम उठाया है। संदीप दीक्षित, जो कि दिल्ली कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं, ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की है। उन्होंने अपने चुनावी क्षेत्र के तौर पर दिल्ली के एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र को चुना है, जहां वे सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को चुनौती देने के लिए तैयार हैं।
संदीप दीक्षित की चुनौती केवल एक चुनावी मुकाबला नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस पार्टी के लिए दिल्ली में अपनी खोई हुई राजनीतिक पहचान को पुनः स्थापित करने का प्रयास भी है। केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाई है, और कई चुनावों में जीत हासिल की है। इस बीच कांग्रेस पार्टी का जनाधार दिल्ली में काफी घटा है, और पार्टी को फिर से जनसमर्थन प्राप्त करने के लिए नये चेहरों की आवश्यकता महसूस हो रही है। संदीप दीक्षित का इस चुनावी समर में उतरना कांग्रेस के लिए एक रणनीतिक निर्णय हो सकता है।
संदीप दीक्षित, जिनका राजनीतिक अनुभव और दिल्ली की राजनीति से गहरा जुड़ाव है, उन्होंने अपनी माँ शीला दीक्षित के समय में दिल्ली के विकास को एक नया रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब वे उसी वंशानुगत राजनीति और विकास के वादे के साथ चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। उनका मानना है कि दिल्ली के नागरिकों को अब एक सशक्त विकल्प की आवश्यकता है, जो केवल एक पार्टी की सत्ता की बजाय सर्वांगीण विकास के लिए काम करे।
अरविंद केजरीवाल, जो कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं, संदीप दीक्षित के लिए एक बड़ी चुनौती होंगे। हालांकि, केजरीवाल की पार्टी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक परिवहन जैसे क्षेत्रों में सुधार के वादे किए हैं, लेकिन संदीप दीक्षित का मानना है कि कांग्रेस की सरकार के दौरान किए गए विकास कार्यों और शीला दीक्षित के समय में हुए प्रगति को जनमानस में पुनः स्थापित किया जा सकता है।
दिल्ली में संदीप दीक्षित की चुनौती कांग्रेस के पुनर्निर्माण और दिल्ली की राजनीति में एक नई दिशा की प्रतीक हो सकती है।





