काशी विश्वनाथ मंदिर में कथावाचन और पूजा को लेकर चल रहे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रसिद्ध रामकथावाचक मोरारी बापू के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें धर्मदंड देने की घोषणा की है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “आज से मोरारी बापू का चेहरा देखना भी पाप है, जब तक वे शास्त्र मर्यादा में स्थित नहीं हो जाते।”
शंकराचार्य ने आरोप लगाया कि मोरारी बापू बार-बार शास्त्र विरोधी आचरण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बापू ने अपनी पत्नी के निधन के बावजूद मरणाशौच की मर्यादा का पालन नहीं किया और काशी जैसे धर्मनगरी में विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में पूजा-अर्चना करते हुए कथा का आयोजन किया। उन्होंने इसे अशास्त्रीय कृत्य करार देते हुए कहा कि धार्मिक मर्यादा का पालन न कर पाना, शास्त्रों के प्रति श्रद्धा की कमी को दर्शाता है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी बताया कि शास्त्रों के अनुसार जब तक कोई व्यक्ति प्रायश्चित्त नहीं करता, तब तक समाज से उसका बहिष्कार ही सबसे बड़ा दंड होता है। उन्होंने मोरारी बापू को “धर्म के मामलों में अप्रमाण” घोषित करते हुए सनातनी समाज से अपील की कि उनके उपदेशों और आचरण को न तो प्रमाण मानें और न ही उसका अनुसरण करें।
उन्होंने निंबार्क संप्रदाय से भी आग्रह किया कि वे मोरारी बापू के इस आचरण पर स्पष्ट मार्गदर्शन दें। शंकराचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि शास्त्र ही धर्म का आधार है, और यदि शास्त्र कहता है कि सूतक में धार्मिक कार्य वर्जित हैं, तो उसका पालन करना ही सच्चा धर्म है।
उन्होंने अंत में कहा कि भजन और पूजा को पुण्य समझना उचित है, लेकिन जब शास्त्र मना करता है, तो उसका उल्लंघन पुण्य नहीं बल्कि धार्मिक अपराध बन जाता है।

Author: Sweta Sharma
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