ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने की मांग पर गर्म हुई बहस
मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर प्रयागराज हाईकोर्ट में शुक्रवार को अहम सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकलपीठ ने विभिन्न प्रकीर्ण प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई करते हुए सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया और 4 जुलाई 2025 की अगली सुनवाई तय की।
मुख्य बहस अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दायर उस प्रार्थना पत्र पर हुई, जिसमें उन्होंने शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने की मांग की थी। इस मांग का समर्थन मंदिर पक्ष ने किया, जबकि मुस्लिम पक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई। मुस्लिम पक्ष की दलील थी कि यदि मस्जिद को विवादित घोषित कर दिया गया, तो वहां नमाज अदा करना बंद हो जाएगा। इस पर हिंदू पक्ष ने पलटवार करते हुए कहा कि 1992 के बाद ही वहां नमाज शुरू हुई थी, उससे पहले ऐसा नहीं था।
बहस के दौरान एक अन्य मुद्दा भी उठा—राधा रानी और रुक्मिणी जी को मुकदमे में पक्षकार बनाने की मांग। एडवोकेट रीना एन सिंह द्वारा रुक्मिणी जी को पक्षकार बनाने की अपील की गई, जिसका कुछ हिंदू पक्षकारों ने भी विरोध किया। उनका तर्क था कि यदि इस तरह मांगें आती रहीं, तो कोई कृष्ण भगवान के सखा, तो कोई ग्वालों को भी पक्षकार बनाने की मांग करेगा और केस अनावश्यक रूप से लंबा खिंच जाएगा।
मामले में 18 से अधिक मुकदमे प्रयागराज हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं। मंदिर पक्ष के अनुसार, औरंगजेब द्वारा जन्मस्थान पर कब्जा कर ईदगाह का निर्माण कराया गया था, जिसे अब हटाया जाना चाहिए।

Author: Sweta Sharma
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