शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख उत्सव है, जिसे पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 9 की बजाय 10 दिनों तक मनाया जाएगा। नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है। छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी सिंह पर सवार रहती हैं। उनके चार भुजाएं हैं—दो हाथों में तलवार और कमल का पुष्प, जबकि अन्य दो हाथों में वर मुद्रा और अभय मुद्रा होती है। उन्हें शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है।
पूजा की विधि
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और मंदिर या पूजास्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। मां की प्रतिमा को स्नान कराकर उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। रोली, चंदन, कुमकुम, फल-फूल, मिठाई और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं। भोग में शहद विशेष रूप से अर्पित करें क्योंकि यह मां कात्यायनी को अत्यंत प्रिय है। पूजा के दौरान मंत्र जाप करें और आरती उतारें।
विशेष अर्पण
मां कात्यायनी को लाल रंग के फूल, विशेषकर गुलाब और गुड़हल, अर्पित करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां का आशीर्वाद भक्तों पर बना रहता है।
छठे दिन का शुभ रंग
इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पूजा में पीली चीजें अर्पित करना विशेष शुभ फल देता है।
मां कात्यायनी के मंत्र
मुख्य मंत्र:
कात्यायनि महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः॥
स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कात्यायनी की आरती
“जय जय अम्बे जय कात्यायनी, जय जग माता जग की महारानी…”
इस आरती का पाठ कर मां की पूजा पूर्ण की जाती है।
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना करने से व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और सफलता प्राप्त होती है। उनके पूजन से घर-परिवार में समृद्धि आती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
