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गोमती पुस्तक महोत्सव में लेखक शीला रोहेकर से खास बातचीत

“साहित्य हमेशा इतिहास और उससे जुड़ी राजनीतिक घटनाओं को साथ लेकर चलता है। इनके बिना आपकी रचना में कोई महत्व नहीं। आपको सिर्फ़ घटना का वर्णन नहीं करना, बल्कि उससे पात्रों और समाज पर क्या असर पड़ता है, यह भी दर्शाना पड़ता है।”

Q: “आप एक अत्यल्प समुदाय से संबंधित हैं, और आपकी रचनाओं में यह बार-बार दिखता है, क्या आप साहित्य में इसे दस्तावेज़ के रूप में प्रस्तुत कर रही हैं?”

“जो अपमान और परेशानी यहूदी समाज ने देखी है, उन तकलीफ़ों को मैंने जाना है और निराशा भी देखी है। मेरे साहित्य में मेरे यहूदी समाज का आना सिर्फ़ दस्तावेज़ीकरण तक सीमित नहीं है। त्रासदी हर एक इंसान के लिए अलग होती है।”

युवा लेखकों के लिए संदेश:

“मैं सिर्फ़ यह सीख देना चाहूँगी कि खूब पढ़िए, अच्छी किताबें पढ़िए, धीरे-धीरे पढ़िए, उन्हें ग्रहण कीजिए और मनन कीजिए, तभी आपके लेखन में चमक आएगी। हम चाँद की रोशनी में पढ़ते थे। तब जाकर भाषा में स्वतंत्रता आती है।”

साहित्य में विज्ञान का उपयोग:

“विज्ञान लेखन में बहुत काम आता है। जब मैं कुछ भी लिखती हूँ, तो उसका पुष्टिकरण करके लिखती हूँ।”

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Author: ntuser1

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