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नरसंहार का प्रायोजकः पाकिस्तानी डीप स्टेट का हिंसक चेहरा

मोहित मौर्या
22 अप्रैल, 2025 को देश और दुनिया ने मानवता को झकझोर देने वाला मंजर देखा जब जम्मू कश्मीर के पहलगाम के पास ‘मिनी स्विट्‌जरलैंड के नाम से मशहूर बैसरन पाटी का शांत और खुशगवार परिदृश्य अकल्पनीय भयावहता और क्रूरता की सीमा को भेद गया और जमीन खून से सुर्ख लाल हो गई। M-4 कार्बाइन और AK-47 राइफलों से लैस 5 सशस्र आतंकवादियों ने वहशियानापन से गैर-मुस्लिम पर्यटकों पर हमला किया, उनको उनके बीवी बत्त्वों के सामने धर्म पूछकर मौत के घाट उतार दिया। धार्मिक उन्माद के इस खौफनाक कृत्य में मुस्लिम परस्त आतंक के सिरफिरों ने बेकसूर 26 नागरिकों की जान ले ली और करीब 17 लोगों को घायल कर दिया। मारे गए 26 नागरिकों में 25 पर्यटक थे, जिनमें से ज्यादातर हिन्दू थे, उनमें से एक ईसाई और एक बहादुर स्थानीय मुस्लिम टडू चालक जो उन वहशी दरिंदों का विरोध करने की कोशिश कर रहा था।

इस खौफनाक मंजर के बारे में जब सोचते हैं तो रींगटे खड़े हो जाते हैं कि कैसे कोई इतना बेरहम और बेगैरत हो सकता है कि 25 पुरुषों को, जिसमें कुछ नवविवाहित जोड़े भी शामिल थे, उनको उनके बच्चों और पत्नी के सामने भारतीय सेना की वर्दी का गलत रूप से प्रयोग करके धोखे से इन आतंकियों ने पुरुषों से पहले उनका धर्म पूछा, उनके आई कार्ड देखे और कलमा सुनाने को कहा और कलमा न सुना पाने की स्थिति में पुरुषों को गोली मार दी। एक पल में उनके पूरे परिवार को रोने बिलखने पर मजबूर कर दिया। इस घटना ने न केवल देश के आम इंसान की अंतर्भात्मा पर चोट की बल्कि पूरी इंसानियत को शर्मसार किया है।

घटना की शुरुआती जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े ‘रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। इस नृशंस घटना को अंजाम देने के पीछे उनका तर्क था कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में गैर-स्थानीय लोगों को बसाया जा रहा है। हालांकि बाद में रेजिस्टेंस फ्रंट ने अपना दाचा वापस ले लिया। इन नृशंस हत्याओं का पैटर्न बहुत जाना पहचाना है जो दिखाता है की इसके पीछे कौन है। 26 नवंचर 2008 को मुंबई में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के हमले के बाद, नागरिकों के खिलाफ पहलगाम में हुआ ये हमला सबसे पातक हमला है, जो सीमा पार पाकिस्तान की सरपरस्ती में फल फूल रहे आतंक और कट्टरपंथी मानसिकता की साँध को उजागर करता है।

यह वीभत्स घटना कोई अकेली घटना नहीं थी, बल्कि यह पाकिस्तान की गहरी पैठ चाली आतंकी मानसिकता की संगठनात्मक प्रणाली का लक्षण है। अपनी स्वघोषित इस्लामिक पहचान के बावजूद, पाकिस्तान की पहचान आज आधुनिक देशों की श्रेणी में गैर-इस्लामिक शासन व्यवस्था वाले देश के रूप में बन गई है। इसने इस्लाम में सख्त प्रतिबंधित सांप्रदायिक हिंसा (फितना) को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने का काम किया है। दशकों से, पाकिस्तान के शिया और अहमदिया मुस्लिम अल्पसंख्यकों को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया गया है, सताया गया है और उन्हें लगभग विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा दिया गया है। कभी जीवंत और राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने का अभिन्न अंग रहे ये समुदाय अब केवल सीमित संख्या में रह गए हैं, जो पाकिस्तान के भीतर के आंतरिक धार्मिक रंगभेद की याद दिलाता है।

इससे भी अधिक परेशान का सबब यह है कि पाकिस्तान ने मासूमों के खिलाफ हिंसा को भयावह रूप से एक सामान्य रणनीतिक राज्य नीति बना दिया है। चाहे प्रत्यक्ष रूप से हो या छ्द्य आतंकी संगठनों के जरिये, नागरिकों, विशेष रूप से गैर-मुसलमानों को निशाना चनाना हो, भू-राजनीतिक धोखाधड़ी का पाकिस्तान का एक सगल बन गया है। पाकिस्तान के मदरसों में गरीब बेसहारा परिवारों के बच्चों की ब्रेनवॉशिंग और उन्हें कट्टरपंथी मानसिकता से लबरेज कर उग्रवादी जिहाद के लिए तैयार किया जाता है। जबकि सैन्य अभिजात वर्ग और उनके राजनीतिक साथी देश की संपत्ति से अपने लिए लंदन, दुबई और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में संपत्ति बनाते हैं।

दिमाग़ को सुन्न कर देने वाले पहलगाम नरसंहार के बाद पूरे देश ने एकस्वर में एक ही मांग की पाकिस्तान और उसकी सीमा में पल रहे आतंकियों को सबक सिखाया जाए। जिसके चाद भारत की सरकार ने एक त्वरित और दृढ़ प्रतिक्रिया देने का निर्णय लिया और 07 मई को, भारत की सेना ने पाकिस्तान में आतंकवादी ढांचे के खिलाफ एक लक्षित मिसाइल अभियान, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर जैसे आतंकी ठिकानों पर ध्यान केंद्रित करते हुये जवाबी कार्रवाई की गई। इस हमले में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अनेकों आतंकवादी और उनके बुनियादी ढांचे को नेस्तनाबूद किया। आतंक के ठिकानों के ढहते ही पाकिस्तान ने इसका विरोध करते हुए नागरिक हताहतों का दावा किया और भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए

ऑपरेशन बनयान अल-मर्सस’ चलाया लेकिन उसे मुँह की खानी पड़ी। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को माकूल जवाब दिया जिसके बाद उसने विश्व समुदाय में गुहार लगानी शुरू लेकिन निराशा हाथ लगी जिसके चाद भारत के साथ डीजीएमओ लेवल पर वार्ता कर सौजफायर करने की गुहार लगाई।

इस पूरे घटनाक्रम में अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान का दोगलापन भी उजागर हुआ। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इस सीजफायर को एक खोखली “जीत” के तौर पर प्रचारित करना शुरू कर दिया और ।। मई को पाकिस्तान में राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की। पूरी दुनिया ने एक ऐसे देश को देख रही थी जो लगातार संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों को पनाह देता है और उन्हें राष्ट्रवाद और धर्म के पर्दे के पीछे छुपाता है।

पाकिस्तान के राष्ट्रवाद और धर्मपरायण मुखौटे के पीछे अपराध का एक गठजोड़ छिपा है जिसमें धूर्त बदमाश मौलवियों, हवाला ऑपरेटरों और सेना के जनरलों द्वारा संरक्षित आतंकी नेटवर्क शामिल है, जिन्होंने अपने देश को कट्टरपंथ और चरमपंथ का अभयारण्य बना दिया है।

अब समय आ गया है जब विश्व समुदाय पाकिस्तान की दोहरी मानसिकता और उसके दोगलेपन की भाषा पर ध्यान देना बंद करे। पाकिस्तान एक ऐसा देश, जो अपने ही देश में अल्पसंख्यक समुदाय पर क्रूरता करता है और जान का भय दिखाकर उनको चुप करा देता है। पाकिस्तान एक ऐसा कंटरपंथी देश जहाँ धर्म के नाम पर निदर्दोष लोगों को सरेआम मारा जाता है। पाकिस्तान एक ऐसा देश, जो अपनी सीमाओं के अंदर आतंक को प्रश्रय देता है और राज्य प्रायोजित आतंक के गुलामों का विश्वभर में निर्यात करता है। ऐसे में पाकिस्तान नैतिकता के उच्च मानकों पर अपना दावा नहीं कर सकता। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला सिर्फ भारतीय नागरिकों पर हमला नहीं था, यह पूरी मानवता, भारत की आस्था और शांति के मूल ढांचे पर हमला है।

इस त्रासदी के सामने भारत की दृढ़ता और उसके सैद्धांतिक प्रतिशोध से पता चलता है कि भारत और यहाँ का जनमानस आतंक और चरमपंथी मानसिकता के गुलाम देश के सामने अब झुकने को तैयार नहीं है बल्कि वो जैसा व्यवहार हमारे साथ करेगा उसको उसी की भाषा में माकूल जवाब मिलेगा। साथ ही एक संप्रभु देश होने के नाते हमारी ये प्रतिबद्धता होनी चाहिये की पाकिस्तान का विश्व समुदाय के सामने पर्दाफाश किया जाए। असली न्याय तभी होगा जब दुनिया पाकिस्तान को न केवल पहलगाम हमले के लिए बल्कि उसके दशकों के धोखे, खून-खराबे और विश्वासपात के लिए जवाबदेह ठहराए।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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