सरकार द्वारा जहां एक तरफ स्थाई कर्मियों को समय समय पर वेतन बढ़ोत्तरी और अन्य वैधानिक देय के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग का गठन किया गया है। वही उन्ही विभागो चिकित्सा स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, शिक्षा, बिजली विभाग, नगर निकाय, पंचायती राज आदि में कार्यरत विभिन्न पदों के लाखों आउटसोर्स कर्मियों को पिछले दस वर्षो से कोई वेतन बढ़ोत्तरी नही दिया जा रहा है आउटसोर्स के जेम पोर्टल संबंधी शासनादेश में वार्षिक वेतन वृद्धि का कोई व्यवस्था नहीं किया गया। दस वर्ष से कर्मचारी फिक्स वेतनमान पर कार्य कर रहे है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के नियंत्रणाधीन चिकित्सा संस्थानों , मेडिकल कॉलेजों के 73 प्रकार के पदो का वेतन निर्धारण संबंध कमेटी की रिपोर्ट पिछले दो वर्ष से शासन में लंबित है जबकि मेडिकल कॉलेज और संस्थानों का विस्तार सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। केजीएमयू, लोहिया, पीजीआई कैंसर संस्थान के लगभग 20 हजार आउटसोर्स कर्मी भी वर्षो से उपेक्षित है।
तेजी से बढ़ रही आउटसोर्स प्रथा में सरकार के अन्य विभागों में लाखो की संख्या में कर्मचारी वर्षो से सेवा दे रहे है जिसमे बिजली, पंचायती राज, शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, नगर निकाय, ग्राम विकास, जल निगम आदि का संचालन आज पूरी तरह से संविदा कर्मियों पर निर्भर है।
ऐसे में लाखो कर्मियों की वेतन बढ़ोत्तरी न किया जाना तथा महंगाई के अनुरूप वेतन निर्धारण न करके केवल स्थाई कर्मियों का ध्यान देना युवा अनुभवी योग्य आउटसोर्स कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार है ओर इससे लाखो कर्मचारी आक्रोशित है। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ इन कर्मियों का संयुक्त संगठन है।
सरकार जल्द प्रदेश के सभी लाखो आउटसोर्स कर्मियों को महंगाई के अनुसार उचित वेतन निर्धारण, वार्षिक वेतन वृद्धि के साथ ही शासन में लंबित चिकित्सा शिक्षा विभाग के 73 प्रकार के पदो के कर्मियों का वेतन निर्धारण संबंधी शासनादेश जारी करना चाहिए।





