कृषि मंत्री का किसानों से DSR अपनाने का आह्वान
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों से आग्रह किया है कि वे परंपरागत धान रोपण की बजाय धान की सीधी बुवाई (Direct Seeding of Rice – DSR) को अपनाएं। उन्होंने इसे कम लागत, कम पानी, और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से बेहद लाभकारी तकनीक बताया।
श्री शाही ने कहा कि DSR पद्धति से न केवल फसल 7 से 10 दिन पहले तैयार होती है, बल्कि मीथेन जैसी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन भी कम होता है, जो पर्यावरण के लिए सकारात्मक संकेत है। उन्होंने बताया कि यह तकनीक किसानों का समय, श्रम और संसाधनों की बचत करती है।
धान की सीधी बुवाई की दो प्रमुख विधियों—सूखे खेत में बुवाई और तर-वतर (moisture-based) विधि—की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि सिंचित क्षेत्रों में तर-वतर विधि अत्यधिक उपयोगी है, जिसमें पहली सिंचाई 15 से 21 दिन बाद की जाती है। इससे जल संरक्षण होता है और खरपतवार भी नियंत्रित रहते हैं।
वर्षा आधारित क्षेत्रों में भी DSR अपनाया जा सकता है, परंतु फूल और दाना बनने की अवस्था में पर्याप्त सिंचाई अनिवार्य है। श्री शाही ने लेजर लैंड लेवलर से खेत समतल करने, 20 मई से 30 जून तक बुवाई करने, और प्रमाणित बीजों के उपयोग की सलाह दी।
उन्होंने DSR में खरपतवार नियंत्रण को अहम बताया और पेन्डीमेथालिन, बिसपायरीबैक सोडियम और पाइराज़ोसल्फ्यूरॉन जैसे प्रभावी खरपतवारनाशकों के समयबद्ध उपयोग की सलाह दी।
अंत में, कृषि मंत्री ने किसानों से इस आधुनिक, लाभकारी और टिकाऊ तकनीक को अपनाने की अपील करते हुए आश्वासन दिया कि कृषि विभाग उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन और आवश्यक सहायता पूरी तत्परता से उपलब्ध कराएगा।

Author: Sweta Sharma
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