बरेली से एक प्रेरणादायक मदर्स डे स्टोरी
पुलिस लाइन स्थित परिवार परामर्श केंद्र में तैनात महिला पुलिसकर्मी मातृत्व और कर्तव्य—दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। मदर्स डे के खास मौके पर इन ‘सुपरमॉम’ पुलिस अफसरों की कहानी हर उस मां को प्रेरित करती है जो अपनी भूमिका को कभी कमजोर नहीं होने देती।
परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी इंस्पेक्टर छवि सिंह बताती हैं कि उनकी 13 वर्षीय बेटी सौम्या आठवीं कक्षा में पढ़ती है। उनके पति कानपुर में नौकरी करते हैं। वह हर दिन सुबह 5 बजे उठ जाती हैं, बेटी को स्कूल के लिए तैयार करती हैं, टिफिन पैक करती हैं और फिर 9:30 बजे तक दफ्तर पहुंच जाती हैं। पूरे दिन घरेलू विवादों के समाधान में व्यस्त रहने के बाद जब वो रात को लौटती हैं, तब तक बेटी उन्हें मिस कर चुकी होती है।
वहीं, केंद्र में तैनात सिपाही भावना सिंह की कहानी भी कुछ अलग नहीं। उनका बेटा माधव केवल 2 साल का है और बेटी दिव्यांशी 5 साल की। उनके पति भी पुलिस विभाग में हैं। भावना ड्यूटी पर अपने दोनों बच्चों को साथ लेकर आती हैं। एक हाथ में वर्दी का फर्ज और दूसरे में ममता की मूरत—वह दोनों भूमिकाओं को संतुलित करती हैं।
Author: Sweta Sharma
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