नई दिल्ली: बहराइच हिंसा के तीन आरोपियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बाद कोर्ट ने यूपी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सख्त टिप्पणी की है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर सज़ा की भावना से यह कार्रवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को बुधवार तक कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया है।
बहराइच हिंसा के आरोपियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट में बहराइच हिंसा के आरोपियों ने यह दलील दी कि जिन घरों पर ध्वस्तीकरण के लिए नोटिस जारी किया गया है, उनमें से कुछ 10 साल तो कुछ 70 साल पुराने हैं। आरोपियों का कहना है कि यह कार्रवाई केवल सज़ा देने की मंशा से की जा रही है, जबकि कई घरों पर दिखावे के लिए नोटिस चिपकाए गए हैं।
याचिकाकर्ताओं के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने कोर्ट को बताया कि 13 अक्टूबर को बहराइच में हिंसा हुई थी, जिसके बाद 3 दिनों के भीतर ही आवेदकों को उनके घर गिराने का नोटिस जारी कर दिया गया। वकील ने यह भी कहा कि उनके मुवक्किलों के परिवार के सदस्य पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं, बावजूद इसके उनके घरों को ध्वस्त करने की तैयारी की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान जस्टिस बी. आर. गवई ने यूपी सरकार को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करना चाहती है, तो यह उसका निर्णय होगा। कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि बुधवार तक कोई बुलडोजर एक्शन नहीं होगा और इस मामले पर बुधवार को अगली सुनवाई की जाएगी।
यूपी सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि उन्होंने हाईकोर्ट में यह भरोसा दिया है कि 15 दिन का नोटिस जारी किया गया है और फिलहाल कोई ध्वस्तीकरण नहीं होगा। इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बुधवार तक इस मामले में किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
बहराइच हिंसा में बुलडोजर एक्शन पर क्यों उठे सवाल
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, जिन घरों पर ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया गया है, वे बहुत पुराने हैं और उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में, 23 घरों पर अतिक्रमण का नोटिस चस्पा किया गया था, और अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फिलहाल रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद यूपी सरकार को फिलहाल अपने बुलडोजर एक्शन को रोकना पड़ेगा, और यह देखना दिलचस्प होगा कि बुधवार को होने वाली अगली सुनवाई में इस मामले का क्या रुख सामने आता है।

Author: Sweta Sharma
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