उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता का मुद्दा अब संसद के गलियारों तक पहुँच गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा परिषदीय शिक्षकों के लिए टीईटी को अनिवार्य बनाए जाने के विरोध में शिक्षक लगातार आंदोलनरत हैं। इसी क्रम में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले शिक्षकों ने मंगलवार को कैसरगंज सांसद करण भूषण सिंह, फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद और राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी को ज्ञापन सौंपा।
शिक्षकों ने केंद्र सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और टीईटी अधिनियम लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को इस अनिवार्यता से छूट देने की मांग की है। उनका कहना है कि प्रदेश में शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू होने की तिथि 29 जुलाई 2011 के पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी देने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
ज्ञापन देने के दौरान पदाधिकारियों विनय तिवारी, डॉ. संजय सिंह और डॉ. अमित सिंह ने कहा कि इस फैसले से लाखों शिक्षकों का भविष्य प्रभावित होगा, इसलिए केंद्र सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। सांसदों ने आश्वासन दिया कि वे केंद्रीय शिक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से इस विषय पर चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयास करेंगे।
इसी बीच, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी और जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी ने बताया कि 15 नवंबर को राज्य स्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी घटक संगठन शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि देश के शिक्षकों को एकजुट करने की दिशा में “अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा” ने पहल की है और जल्द ही दिल्ली कूच की घोषणा की जाएगी, ताकि शिक्षकों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से रखा जा सके।
