एससीओ समिट में रक्षा मंत्री ने कहा कि बढ़ता कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद क्षेत्रीय शांति एवं विश्वास में बाधा है
क़िंगदाओ (चीन)। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति एवं रणनीति की विस्तृत रूपरेखा पेश की। उन्होंने सदस्य देशों से सामूहिक सुरक्षा और साझा जिम्मेदारी निभाने का आग्रह किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि बढ़ता कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद क्षेत्रीय शांति एवं विश्वास में बाधा हैं। साथ ही, शांति और समृद्धि, आतंकवाद और WMD (सामूहिक विनाश उपकरण) के साथ सह-अस्तित्व सम्भव नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रायोजित आतंकवाद को पोषित करने वालों को जरूर जवाबदेह ठहराया जाएगा, चाहे वे सीमा पार हों या नहीं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में पहलगाम हमले का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की मदद से सीमा पार से होने वाले आतंकवादी हमलों को रोकने का अधिकार प्रयोग किया। उनका कहना था, “आतंकवाद का कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा है।” उन्होंने यह भी जोर दिया कि सीमा पार आतंकवाद, कट्टरपंथ और हिंसा को रोकने की दिशा में एससीओ को साफ़ निंदा करनी चाहिए। भारत ने आतंकवाद के हर रूप को शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाया है।
रक्षा मंत्री ने साथ ही युवाओं में कट्टरवाद पर काबू पाने एवं सीमा पार ड्रोन व हथियार तस्करी को विशेष चिंता बताते हुए RATS (एससीओ क्षेत्रीय आतंक निरोधक तंत्र) की भूमिका महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय विश्वास और सहयोग ही इन जटिल चुनौतियों का उत्तर है। राजनाथ सिंह ने यह भी रेखांकित किया कि एससीओ क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं और 30% वैश्विक GDP में योगदान देता है। उन्होंने अफ़गानिस्तान में मानवीय सहायता, जलवायु, महामारी व खाद्य सुरक्षा जैसी गैर-पारंपरिक खतरों के सामने साझा रणनीति अपनाने की बात कही। उन्होंने संदेश दिया— “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य”— वसुधैव कुटुम्बकम की इसकी संदेशात्मक नीति पर आधारित—कि वैश्विक चुनौतियाँ तभी निपटी जा सकती हैं जब हम एकजुट हों।
