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महंगाई की मार और किसानों की हकीकत: RBI रिसर्च पेपर से हुआ बड़ा खुलासा

देश में बढ़ती सब्जियों की कीमतों ने आम जनता को परेशान कर रखा है, खासकर प्याज, टमाटर और आलू की महंगाई ने आम लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी एक ताजा रिसर्च पेपर में जो खुलासा हुआ है, वह और भी हैरान करने वाला है। इस रिसर्च में बताया गया है कि भले ही ग्राहक इन सब्जियों पर भारी खर्च कर रहे हों, लेकिन किसानों को इसका बहुत ही कम फायदा मिल पा रहा है।
किसानों को मिलता है केवल एक तिहाई पैसा
रिसर्च पेपर के मुताबिक, जब उपभोक्ता प्याज के लिए 100 रुपये प्रति किलो चुकाते हैं, तो किसानों को इसका मात्र 33% हिस्सा यानी लगभग 33 रुपये ही मिलता है। टमाटर के मामले में यह आंकड़ा 33%, जबकि आलू के लिए 37% है। इसका मतलब है कि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य नहीं मिल रहा, जबकि बिचौलियों और अन्य आपूर्ति श्रृंखला के हिस्सेदार इसका बड़ा फायदा उठा रहे हैं।
कृषि डिस्ट्रीब्यूशन में सुधार की सिफारिश
रिसर्च पेपर में कहा गया है कि इस असमानता को दूर करने के लिए कृषि वितरण प्रणाली में सुधार की जरूरत है। इसमें निजी मंडियों की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है, ताकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके। सब्जियों के जल्दी खराब होने के चलते उनके भंडारण और वितरण में सुधार के लिए निजी और ई-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म्स जैसे ई-एनएएम का उपयोग बढ़ाने की भी सिफारिश की गई है।
प्याज, टमाटर, आलू की महंगाई पर RBI का अध्ययन
इस शोध पत्र में बताया गया है कि प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव ने खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। महंगाई के इस दबाव को कम करने के लिए निजी मंडियों का विकास, उत्पादकता में सुधार और भंडारण की बेहतर सुविधाओं पर जोर दिया गया है। प्याज के मामले में विशेष रूप से सर्दियों की फसल के लिए वायदा कारोबार शुरू करने की भी वकालत की गई है, ताकि मूल्य स्थिरता और जोखिम प्रबंधन में मदद मिल सके।
दालों पर भी हुआ खुलासा
रिसर्च पेपर में सिर्फ सब्जियों ही नहीं, बल्कि दालों की महंगाई पर भी ध्यान दिया गया है। चना, तुअर और मूंग जैसी दालों पर किए गए अध्ययन में बताया गया है कि इन फसलों की महंगाई में किसानों को बेहतर हिस्सा मिलता है। चने पर उपभोक्ता खर्च का 75%, मूंग पर 70% और तुअर (अरहर) पर 65% किसानों के पास जाता है, जो सब्जियों के मुकाबले काफी अधिक है।
RBI का स्पष्टिकरण
RBI ने स्पष्ट किया है कि इस रिसर्च पेपर में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के व्यक्तिगत विचार हैं और इसका रिजर्व बैंक के नीतिगत निर्णयों से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन यह अध्ययन कृषि और वितरण क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है, ताकि उपभोक्ता और किसान दोनों को बेहतर लाभ मिल सके।
Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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