चंद्रकांत परगिर की रिपोर्ट
निमली (अलवर)। भारत में हाथियों की मौत का आंकड़ा चिंताजनक स्तर पर पहुंच रहा है। “भारत के पर्यावरण की स्थिति 2025” रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो सालों में हाथियों की मौतों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। सबसे बड़ा कारण बिजली के झटके साबित हो रहे हैं, जिनसे बड़ी संख्या में हाथियों की जान जा रही है। रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 2022-23 में कुल 133 हाथियों की मौत हुई, जिनमें से 100 मौतें सिर्फ बिजली के झटकों से हुईं। वहीं 2023-24 में यह संख्या 117 तक पहुंच गई, जो कुल 121 हाथियों की मौतों में सबसे बड़ा कारण रही।
2019-20 से 2023-24 के बीच हाथियों की कुल 627 मौतों में से 392 मौतें सिर्फ बिजली के झटकों की वजह से हुई हैं, जो कि कुल मौतों का लगभग 62% है। अवैध शिकार, ज़हर और ट्रेन दुर्घटनाएं भी हाथियों के जीवन के लिए खतरा बनी हुई हैं, लेकिन बिजली के झटकों का अनुपात कहीं अधिक है।
वन्यजीव विशेषज्ञ और पर्यावरणविद् इस बढ़ते खतरे को लेकर गंभीर चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि बिजली के तारों की अनियमित व्यवस्था, लो-हैंगिंग हाई वोल्टेज लाइनें और किसानों द्वारा जंगली जानवरों को रोकने के लिए लगाए गए बिजली के अवैध फेंसिंग, हाथियों के लिए घातक साबित हो रहे हैं।
हाथियों की बढ़ती मौत को रोकने के लिए सरकार ने बिजली लाइनों को सुरक्षित ऊंचाई पर लगाने, वन्य क्षेत्रों में हाई वोल्टेज तारों की नियमित जांच और अवैध बिजली फेंसिंग पर सख्ती से रोक लगाने की योजना बनाई है।
