निश्चय टाइम्स, लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत करीब दो लाख शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहराता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला सुनाया है कि टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास किए बिना कोई भी शिक्षक मान्य नहीं होगा। योगी सरकार ने शिक्षक संगठनों की चिंता को देखते हुए शिक्षा विभाग को इस मामले में व्यावहारिक कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट का यह आदेश पूरे देश में कक्षा 1 से 8 तक के सभी परिषदीय स्कूलों के लिए लागू है।
दरअसल, 2010 में एनसीटीई ने गाइडलाइन जारी की थी जिसमें कहा गया था कि पहले से कार्यरत या चयन प्रक्रिया में शामिल शिक्षकों पर टीईटी लागू नहीं होगा। लेकिन 2017 में केंद्र सरकार ने नया नियम जारी करते हुए 2019 तक सभी शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया। इस आदेश के खिलाफ कई शिक्षक सुप्रीम कोर्ट पहुँचे थे। अब 1 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने दो साल के भीतर सभी शिक्षकों को टीईटी पास करने का आदेश दिया है। इससे यूपी समेत कई राज्यों में हड़कंप मच गया है।
राज्य में सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कुल संख्या लगभग 4.59 लाख है, जबकि अन्य संबद्ध स्कूलों को मिलाकर यह संख्या दोगुनी तक पहुँच जाती है। शिक्षक संगठनों का दावा है कि करीब 1.80 से 2 लाख शिक्षक इस आदेश से सीधे प्रभावित होंगे।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस फैसले का विरोध करते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा है। संघ का कहना है कि सेवारत शिक्षकों को छूट दी जानी चाहिए। वहीं, कई अनुभवी शिक्षक जिन्होंने दशकों तक सेवा दी है, उन्होंने भी अचानक परीक्षा की बाध्यता पर नाराज़गी जताई है। प्रदेश में जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
