जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ा कनेक्शन, जांच समिति ने हटाने की सिफारिश की
निश्चय टाइम्स, नई दिल्ली। सरकारी आवास में नोटों से भरे स्टोर रूम की बरामदगी मामले में अब बड़ा खुलासा सामने आया है। उच्च स्तरीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिस स्टोर रूम से भारी मात्रा में नकदी मिली, वह दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और उनके परिजनों के प्रत्यक्ष नियंत्रण में था। जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, “स्टोर पर जस्टिस वर्मा का स्पष्ट प्रभाव और आदेश चलना पाया गया है। ऐसे में न्यायपालिका की गरिमा और सार्वजनिक विश्वास की रक्षा हेतु उन्हें तुरंत हटाया जाना चाहिए।”
मामले की जांच और सिफारिशें:
यह मामला 15 मार्च 2025 को तब उजागर हुआ, जब एक सरकारी आवास के स्टोर रूम से संदिग्ध परिस्थितियों में बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। समिति ने 55 गवाहों से पूछताछ की और उपलब्ध दस्तावेज़ों व सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा के बाद यह निष्कर्ष निकाला। जांच समिति का नेतृत्व पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नंद ने किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में चेताया है कि यदि इस पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे “जनता का न्यायपालिका पर से विश्वास डगमगा सकता है।” अब देखना यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट और न्यायिक परिषद इस गंभीर मामले में जल्द कोई फैसला लेती है या नहीं। देश की न्यायिक व्यवस्था के लिए यह एक बड़ी परीक्षा बनकर सामने आया है।
