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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जेलों में जाति के आधार पर काम करने की प्रथा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जेलों में जाति के आधार पर काम करने की प्रथा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने इस मुद्दे को संबोधित करते हुए कहा कि जाति के आधार पर भेदभाव एक गंभीर सामाजिक और कानूनी समस्या है, जो भारतीय संविधान के समता और समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।

ऐतिहासिक रूप से, जेलों में जाति के आधार पर काम की प्रक्रिया का पालन करने की शिकायतें आई हैं, जिनमें कहा गया है कि जातिगत भेदभाव के कारण कैदियों के बीच असमानता और अन्याय होता है। इस प्रथा के खिलाफ उठ रही आवाजों को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर एक गहन और व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता को महसूस किया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम जातिगत भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस मुद्दे पर एक ऐतिहासिक फैसला आने की उम्मीद है, जो न केवल जेलों में बल्कि समाज के अन्य हिस्सों में भी जातिगत असमानता और भेदभाव को कम करने में सहायक हो सकता है।

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कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से, यह मामला अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय समाज में जातिगत न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस पर निर्भर करेगा कि क्या इसे संविधान के तहत समानता और न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप माना जाता है।
Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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