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जाति जनगणना की आवाज़ फिर हुई बुलंद

लखनऊ। जाति आधारित जनगणना की मांग एक बार फिर सुर्खियों में है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद अवधेश प्रसाद ने सोमवार को कहा कि इस मुद्दे को सबसे पहले स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने राष्ट्रीय स्तर पर उठाया था। आज उसी विरासत को सपा प्रमुख अखिलेश यादव आगे बढ़ा रहे हैं। प्रसाद के अनुसार, चाहे 2022 का विधानसभा चुनाव हो या 2024 का लोकसभा चुनाव—अखिलेश यादव ने हर मंच से इस मांग को दोहराया और पार्टी ने इसे अपने घोषणापत्र में एक “पवित्र वादा” बताया है।

अवधेश प्रसाद ने ANI से बातचीत में कहा, “जाति जनगणना का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय का मूल आधार है। समाजवादी पार्टी ने हमेशा वंचितों को उनका हक दिलाने की बात की है और अगर यूपी में सपा की सरकार बनी तो जातीय जनगणना कराई जाएगी।”

उन्होंने याद दिलाया कि 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में जो घोषणापत्र जारी किया गया था, उसके कई प्रमुख वादे पूरे भी किए गए थे। उनका कहना है कि समाज में आज भी कई जातियां ऐसी हैं जिन्हें संविधान द्वारा मिले अधिकारों से वंचित रखा गया है। “बाबा साहब अंबेडकर ने जो मूल अधिकार संविधान में दिए, वे 75 साल बाद भी पूरी तरह से लागू नहीं हो सके हैं,” उन्होंने कहा।

इसी बीच, केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2027 में होने वाली जनगणना को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। गृह मंत्रालय के अनुसार, जनगणना की मुख्य तारीख 1 मार्च 2027 होगी, जबकि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले क्षेत्रों में यह 1 अक्टूबर 2026 को की जाएगी।

गृह मंत्री अमित शाह ने 15 जून को जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की और अधिकारियों को सटीक एवं डिजिटल प्रक्रिया सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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