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तंबाकू और धूम्रपान से नुकसान ही नुकसान

 डॉ सूर्य कान्त
हर साल 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस का आयोजन होता है | इस साल दिवस की थीम है –“अपील का पर्दाफाश : तम्बाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योगों की रणनीति को उजागर करना |(Unmasking the Appeal: Exposing industry tactics on Tobacco and Nicotine products.)
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू)के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्य कान्त बताते हैं कि इस साल इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य उन हथकंडों का खुलासा करना है जो तम्बाकू और निकोटीन उद्योग अपने हानिकारक उत्पादों को आकर्षक बनाने के लिये उपयोग करते हैं | वर्तमान में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सबसे बड़ी समस्या युवाओं में तम्बाकू और निकोटिन उत्पादों के प्रति आकर्षण है | उद्योग इन उत्पादों को आकर्षक बनाने तथा स्वाद, महक को बेहतर बनाने के लिए बाहरी तत्व तथा एडिटिव्स को मिलाते हैं जिससे कि युवाओं में इसके प्रति आकर्षण बढ़ता है और वह इसके आदी हो जाते हैं | इसके साथ ही बाजार को भी ग्लेमराइज्ड किया गया है और सोशल और डिजिटल मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है |
डॉ. सूर्य कान्त, संस्थापक प्रभारी, तंबाकू निषेध क्लिनिक, रेस्पिरेटरी मेडिसिन , केजीएमयू बताते हैं कि भारत में तम्बाकू और धूम्रपान के कारण प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु होती है, तथा इससे 25 तरह की बीमारियां तथा लगभग 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं, जिसमें प्रमुख हैं: मुँह का, गले का, फेफड़े का, प्रोस्टेट का, पेट का कैंसर और ब्रेन ट्यूमर आदि। इसके साथ ही ब्रॉन्काइटिस, एसिडिटी, टीबी, हार्ट-अटैक, फॉलिज, नपुंसकता, माइग्रेन, सिरदर्द, बालों का जल्दी सफेद होना, रक्त संचरण प्रभावित होना, ब्लड प्रेशर की समस्या, सांस फूलना तथा नित्य क्रियाओं में अवरोध हो सकता है । गर्भावस्था के दौरान परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से धूम्रपान करने से कम वजन के नवजात का जन्म होना, गर्भस्थ की मृत्यु या नवजात की मृत्यु या बच्चे को जन्मजात बीमारियाँ होने आदि का खतरा होता है ।

तम्बाकू सेवन से हो रहे दुष्प्रभावों को देखते हुए भारत सरकार ने सिगरेटस एण्ड अदर टोबैको प्रोडक्ट एक्ट(कोटपा ), 2003 अधिनियम लागू किया है जिसके ठाट तम्बाकू या उसके उत्पादों का प्रचार प्रसार, खरीद फरोख्त एवं वितरण पर सख्ती से रोक लगायी गयी है । अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर 200 रुपये के आर्थिक दंड का प्रावधान है | 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को और व्यक्ति के द्वारा तंबाकू बेचना, तंबाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापनों पर तथा शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज की परिधि में तंबाकू बेचना पूर्णतया प्रतिबंधित है | तंबाकू या तंबाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित करना अनिवार्य है |
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2016-17 के अनुसार हमारे देश में लगभग 27 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते है। भारत में तम्बाकू सेवन प्रारम्भ करने की औसत आयु 18.7 वर्ष है जिसमें 13-15 वर्ष की आयु के 2.2 करोड़ किशोर हैं। लगभग आठ करोड़ किशोर परोक्ष धूम्रपान के संपर्क में आते हैं। जब कोई धूम्रपान करता है तो बीड़ी या सिगरेट का धुआं उसको पीने वाले के फेफड़े में 30 फीसद व आस-पास के वातावरण में 70 फीसद रह जाता है जिससे परिवार के लोग और उसके मित्र प्रभावित होते हैं, जिसको हम परोक्ष धूम्रपान कहते हैं।
महिलाओं की तुलना में पुरूष कम उम्र में तम्बाकू का सेवन प्रारम्भ कर देते हैं। सेन्टर फार डिजीज कंट्रोल एण्ड प्रिवेंशन के अनुसार सामान्यतः स्मोकर्स की मृत्यु नान-स्मोकर्स की तुलना में दस साल पहले ही हो जाती है।
डॉ. सूर्य कान्त, पूर्व महासचिव, इंडियन सोसाइटी अगेंस्ट स्मोकिंग बताते हैं कि सिगरेट की तुलना में बीड़ी पीना ज्यादा नुकसानदायक होता हैं। बीड़ी में निकोटीन की मात्रा कम होने के कारण निकोटीन की लत के शिकार लोगों को इसकी आवश्यकता बार-बार पड़ती है।

तम्बाकू व धूम्रपान छोड़ने के फायदे
धूम्रपान छोड़ने के आठ घंटे बाद शरीर में मौजूद निकोटीन और कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर आधा हो जाता है जिससे कि रक्त में ऑक्सीजन का प्रवाह सामान्य हो जाता है। निकोटीन, जो धूम्रपान की लत के लिए जिम्मेदार है, कम होते ही शरीर हल्कापन महसूस करता है।
धूम्रपान छोड़ने के 24 घंटे बाद कार्बन मोनोऑक्साइड पूरी तरह शरीर से बाहर निकल जाती है। रक्त में ऑक्सीजन का स्तर पूर्णतः सामान्य हो जाता है। हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा घटने लगता है।
धूम्रपान छोड़ने के 48 घंटे बाद निकोटीन शरीर से पूरी तरह समाप्त हो जाता है। टेस्ट बड्स फिर से सक्रिय होने लगती हैं, जिससे भोजन का स्वाद बेहतर महसूस होता है। सूँघने की शक्ति भी धीरे-धीरे तेज होती है।
धूम्रपान छोड़ने के एक महीने बाद चेहरे की रंगत में स्पष्ट सुधार दिखने लगता है। त्वचा का भूरा, पीलापन और धूम्रपान से उत्पन्न झुर्रियाँ कम होने लगती हैं। खांसी और कफ धीरे-धीरे कम होने लगता है।
धूम्रपान छोड़ने के तीन से नौ महीने बाद व्यक्ति की खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ में उल्लेखनीय सुधार होता है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है ।
धूम्रपान छोड़ने के पांच साल बाद हार्ट अटैक का खतरा साथ ही स्ट्रोक का भी खतरा कम हो जाता है |
धूम्रपान छोड़ने के 10 वर्ष बाद फेफड़ों के कैंसर का खतरा आधा तथा मुंह, गला, ग्रासनली, मूत्राशय और अग्न्याशय के कैंसर का जोखिम भी उल्लेखनीय रूप से घट जाता है।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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