कोलकाता। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी जालदापारा वन्यजीव अभयारण्य में बाघ के तीन शावकों की उस समय मौत हो गई जब उनकी मां ने उन्हें मुंह में रखकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते समय गलती से उनकी गर्दन पर काट लिया। प्राणी उद्यान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकार दी।
पश्चिम बंगाल प्राणी उद्यान प्राधिकरण के सचिव सौरव चौधरी ने बताया कि बाघिन ‘रिका’ के पिछले सप्ताह जन्मे शावकों की श्वास नली में उस समय छेद हो जाने के कारण मौत हो गई जब बाघिन उन्हें अपने मुंह में रखकर एक स्थान से दूसरे स्थान लेकर जा रही थी। यह घटना बाघों के संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष के संदर्भ में एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। घटना पश्चिम बंगाल के जालदापारा वन्यजीव अभयारण्य में हुई, जो कि पर्यटकों के बीच बाघों की सुंदरता और उनकी शाही उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है।
दो शावकों की मौत बृहस्पतिवार रात को हुई, जबकि शुक्रवार को एक और शावक ने दम तोड़ दिया। घटना के बाद से बाघिन सदमे में प्रतीत हो रही है, जो उसके व्यवहार से स्पष्ट है। उन्होंने कहा, “यह बाघिन द्वारा गले पर गलत जगह से पकड़ने के कारण शावकों की मौत होने का मामला है। माना जा रहा है कि बाघिन ने अपने शावकों को एक गलत दिशा में देखे जाने या किसी कारण से तंग आकर हमला किया। हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि पर्यावरणीय दबाव और असुरक्षित स्थितियाँ इन घटनाओं का कारण बन सकती हैं।
इस घटना के बाद, वन विभाग ने वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न उपायों की घोषणा की है। इसके अलावा, बाघों और अन्य जानवरों के संरक्षण के लिए विशेष निगरानी प्रणाली को स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को कम किया जा सकेगा और वन्यजीवों का संरक्षण बेहतर तरीके से किया जा सकेगा।
जालदापारा वन्यजीव अभयारण्य में बाघिन द्वारा शावकों की हत्या की घटना ने वन्यजीव संरक्षण और बाघों की स्वाभाविक व्यवहारिक प्रवृत्तियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। जालदापारा, जो अपने बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है, पर्यटकों को वन्यजीवों के करीब जाने का एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। लेकिन इस घटना ने वन्यजीवों के बीच के प्राकृतिक संतुलन और उनकी सुरक्षा पर ध्यान आकर्षित किया है।
यह घटना उस समय हुई जब पार्क में पर्यटकों की संख्या अधिक थी, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। बाघिन के शावकों पर हमला करने के कारणों का विश्लेषण किया जा रहा है, लेकिन कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्वाभाविक रूप से एक शिकारी की प्रवृत्ति का हिस्सा हो सकता है। बाघों के लिए शिकार करना और अपनी संतान को जीवित रखने के लिए संघर्ष करना प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन यह भी संभावना है कि अभयारण्य में शावकों के लिए पर्याप्त स्थान या संसाधन न होने के कारण यह घटना हुई हो।
वन्यजीव अधिकारियों ने इस घटना के बाद अभयारण्य में बाघों के प्रबंधन को लेकर अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है। उन्होंने जंगलों में मानव हस्तक्षेप को कम करने के लिए कुछ उपायों पर विचार करना शुरू किया है, ताकि बाघों और अन्य वन्यजीवों के बीच अधिक संतुलन स्थापित किया जा सके। इसके साथ ही, शावकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पार्क में सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया जा रहा है।
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि मनुष्य और वन्यजीवों के बीच का संबंध कभी-कभी जटिल हो सकता है। जहां एक ओर बाघों का संरक्षण जरूरी है, वहीं दूसरी ओर उनके स्वाभाविक व्यवहार को समझने और उनके जीवन में दखल देने से बचने की आवश्यकता है। वन्यजीव संरक्षण की दिशा में ऐसे घटनाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि प्राकृतिक जीवन और मानव जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना कितनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
								
															
			
			




