निश्चय टाइम्स, डेस्क। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए संपत्तियों की रेटिंग (श्रेणी निर्धारण) ढांचे पर नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में आज आधे दिन की कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला में प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी), नगर एवं ग्राम नियोजन संगठनों, योजना एवं वास्तुकला विद्यालय, नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) और अन्य अवसंरचना विकास एजेंसियों के लगभग 100 वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
कार्यशाला का उद्देश्य संपत्ति या बुनियादी ढांचा विकास योजना के हिस्से के तौर पर डिजिटल कनेक्टिविटी आधारभूत अवसंरचना की योजना के महत्व के बारे में जागरूकता और ट्राई द्वारा 25 अक्टूबर 2024 को अधिसूचित डिजिटल कनेक्टिविटी विनियमन, 2024 के लिए संपत्तियों की रेटिंग (श्रेणी निर्धारण) को संस्थागत रूप से अपनाने को बढ़ावा देना था। विनियमन में हरित भवन या ऊर्जा दक्षता रेटिंग के समान ही स्वैच्छिक, प्रदर्शन-आधारित स्टार रेटिंग प्रणाली आरंभ किया गया है, जिससे पता लगाया जा सके कि कोई भवन या बुनियादी ढांचा उच्च शक्ति वाले ब्रॉडबैंड और मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए डिजिटल रूप से कितना सक्षम है। संपत्ति या बुनियादी ढांचे में आवासीय भवन, वाणिज्यिक परिसर, सरकारी कार्यालय, हवाई अड्डे, राजमार्ग, स्टेडियम और रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
ट्राई के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी ने अपने आरंभिक संबोधन में उल्लेख किया कि सुदृढ़ डिजिटल कनेक्टिविटी पानी, बिजली और संरचनात्मक सुरक्षा जितनी ही आवश्यक हो गई है, खासतौर पर तब जब अनुमानित 70-80 प्रतिशत मोबाइल डेटा ट्रैफ़िक की खपत अब घर के अंदर ही होती है। उन्होंने डिजिटल कनेक्टिविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीसीआई) की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि लोग, स्वरूप और तकनीक दूरसंचार नेटवर्क की निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाते हैं; इसलिए इनकी योजना और समावेशन का काम बाद में करने की बजाय डिज़ाइन के चरण में ही किया जाना चाहिए।

लाहोटी ने कहा कि नया श्रेणी निर्धारण ढांचा, संपत्ति विकसित करने वाले लोगों, बुनियादी ढांचा प्रदाताओं और सरकारी एजेंसियों को विभिन्न प्रकार के परिसरों, जैसे आवासों, कार्यालयों, स्कूलों, अस्पतालों, परिवहन केंद्रों और स्मार्ट शहरी क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी की तैयारी की योजना बनाने, लागू करने, उनका मूल्यांकन करने और सुधार के लिए स्पष्ट, पारदर्शी और विभिन्न तकनीक या प्रौद्योगिकी समान रूप से प्रयोग करने का दृष्टिकोण प्रदान करता है। उन्होंने मंत्रालयों, विभागों और संस्थानों से परियोजना दिशानिर्देशों, मॉडल निविदा दस्तावेजों और प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में डिजिटल कनेक्टिविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीसीआई) आवश्यकताओं को शामिल करने को कहा, ताकि देश में निर्माण का डिज़ाइन भविष्य अनुरूप हो।
तकनीकी सत्र में ट्राई के दूरसंचार सेवा गुणवत्ता सलाहकार-प्रथम (क्यूओएस-1) तेजपाल सिंह ने प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने डिजिटल कनेक्टिविटी विनियम, 2024 के लिए संपत्तियों की रेटिंग और पंजीकृत डिजिटल कनेक्टिविटी रेटिंग एजेंसियों (डीसीआरए), संपत्ति प्रबंधकों, वास्तुकारों और सेवा प्रदाताओं के संदर्भ के लिए संबंधित रेटिंग नियमावली के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने फाइबर प्रवेश बिंदु, इनडोर सिग्नल क्षमता, एंटीना स्थापित करने के लिए छत तक पहुंच, वाई-फाई और 5जी तैयारी और कनेक्टिविटी सेवा लागू करने या बनाए रखने के लिए ऑपरेटरों की आसान पहुंच जैसे प्रमुख बातों की जानकारी दी। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के ‘बी’ संवर्ग वैज्ञानिक अभिषेक शर्मा ने सूचना और संचार सक्षम प्रतिष्ठानों से संबंधित राष्ट्रीय भवन संहिता (एनबीसी) 2016 में प्रस्तावित प्रमुख संशोधनों के बारे में बताया और उभरती दूरसंचार अवसंरचना आवश्यकताओं के साथ भवन मानकों के तालमेल पर बल दिया।
कार्यशाला में परस्पर संवादमूलक चर्चा और प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किये गये। वरिष्ठ अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों ने इनडोर कनेक्टिविटी अंतराल दूर करने और कनेक्टिविटी निरंतरता के लिए योजना, नीति और कार्यान्वयन पर बातचीत की। संपत्ति श्रेणी निर्धारण ढांचा डिजिटल इंडिया और स्मार्ट सिटी मिशन जैसे प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों के अनुरूप है, जो सबके लिए समावेशी, उच्च गुणवत्ता पूर्ण डिजिटल पहुंच के दीर्घकालिक लक्ष्य की पूर्ति करता है। ट्राई देश में सुदृढ़ डिजिटल कनेक्टिविटी अवसंरचना को सुविधाजनक बनाने के लिए इस तरह की कार्यशालाओं, परामर्श और क्षमता निर्माण पहल द्वारा अपने हितधारकों के साथ जुड़ाव जारी रखेगा।





