निश्चय टाइम्स, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने आज यहां विधान भवन स्थित कार्यालय कक्ष में वर्षा ऋतु के दृष्टिगत गोआश्रय स्थलों पर आवश्यक व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए कि बाढ़ संभावित क्षेत्रों में गो आश्रय स्थलों को चिन्हित कर लिया जाए तथा आवश्यकता पड़ने पर गोवंश विस्थापित करने हेतु वैकल्पिक स्थानों का पूर्व ही चयन कर लिया जाए। बाढ़ आपदा के दौरान पशुओं के भरण-पोषण हेतु भूसा, चारा, चोकर, पेयजल, औषधियों की व्यवस्था कर ली जाए। गोवंश को भीगने से बचाने के पर्याप्त इंतजाम किए जाए। वर्षा ऋतु में संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है इससे बचाव हेतु आवश्यक दवाओं का नियमित रूप से छिड़काव कराया जाय और टीकाकरण एवं कृमिनाशक दवापान भी कराया जाय। गोआश्रय स्थलों पर स्वच्छता का विशेष ध्यान दिया जाए।
श्री सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि 30 जुलाई तक की निर्धारित अवधि में हरे चारे की पर्याप्त बुआई का कार्य कर लिया जाए। गोआश्रय स्थलों पर वृक्षारोपण कराया जाए और पेड़ों को सुरक्षित करने हेतु ट्री गार्ड लगवाए जाए। यदि किसी गोआश्रय स्थल पर गोवंश की मृत्यु होती है तो गोवंश का शव निस्तारण नियमानुसार उचित प्रकार से किया जाए। रेडियम बेल्ट के अभियान को और गति दी जाए। पशुधन विकास एवं दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी हेतु कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को सफल बनाया जाए। इस हेतु संबंधित को प्रशिक्षित किया जाए। जहां कहीं निराश्रित गोवंश विचरण करते दिखाई दे उनकों पास की गोशालाओं में आश्रय देना सुनिश्चित किया जाए।
धर्मपाल सिंह ने टीकाकरण कार्यक्रम पर बल देते हुए कहा कि पशुधन की सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है और संक्रामक रोगों एवं अन्य रोगों से सुरक्षा हेतु निर्धारित समय पर टीकाकरण कराया जाए। टीकाकरण कार्य में वैक्सीन की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए और प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही वैक्सीनेशन कार्य कराया जाए। वैक्सीन की कोई भी कमी न होने पाए।बैठक में बताया गया कि वर्तमान में कुल 7706 गो आश्रय स्थल है, जिनमें 1236914 गोवंश संरक्षित किए गए है।
बैठक में पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव अमित कुमार घोष ने कहा कि मंत्री द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गोआश्रय स्थलोें में बरसात से बचाव, हरा चारा, पानी, भूसा, विद्युत, औषधियां एवं अन्य व्यवस्थायें सुनिश्चित की जाए। सभी मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी स्थानीय प्रशासन के सहयोग से चारागाह की भूमि को कब्जामुक्त कराए और उस पर चारा बुआई का कार्य कराए। संक्रामक रोगों से बचाव हेतु वैक्सीनेशन की भी पर्याप्त व्यवस्था की जाए।
बैठक में पशुधन विभाग के विशेष सचिव देवेन्द्र पाण्डेय, पशुधन विभाग के निदेशक प्रशासन एवं विकास योगेन्द्र पवार, निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र राजीव सक्सेना, सीईओएलडीबी, डॉ पीके सिंह तथा संयुक्त निदेशक पीके सिंह सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।





