अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस का 84वां दो दिवसीय अधिवेशन मंगलवार को संपन्न हुआ। अधिवेशन के दूसरे और अंतिम दिन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एक बार फिर जाति जनगणना के मुद्दे को जोरशोर से उठाया। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय और वास्तविक प्रतिनिधित्व का आधार बताया। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, “तेलंगाना में हमने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। हमने वहां जाति जनगणना करवाई है और अब हम यही मॉडल पूरे देश में लागू करना चाहते हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जातिगत आंकड़ों से डरते हैं, इसलिए वे इस मांग को नजरअंदाज कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हमारे देश को यह जानने का अधिकार है कि ओबीसी, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की जनसंख्या कितनी है। संसद में हमने प्रधानमंत्री से स्पष्ट रूप से कहा कि जाति जनगणना कराई जाए। हमने तेलंगाना में यह कर दिखाया, अब यह लड़ाई देशव्यापी होगी।” राहुल गांधी ने उदाहरण देते हुए कहा कि तेलंगाना में 90 प्रतिशत आबादी ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक है, लेकिन जब हम मालिकों, सीईओ और सीनियर मैनेजमेंट की लिस्ट देखते हैं, तो इनमें से कोई नहीं मिलता। उन्होंने कहा, “सारी गिग इकॉनमी में काम करने वाले दलित, ओबीसी और आदिवासी हैं। यह असमानता अब और नहीं चलेगी।” उन्होंने बताया कि तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना के आधार पर ओबीसी आरक्षण को 42% तक बढ़ाया है। उन्होंने इसे सच्चे प्रतिनिधित्व की दिशा में बड़ा कदम बताया। राहुल गांधी ने कहा, “बीजेपी इस मुद्दे पर चुप क्यों है? जब भागीदारी की बात आती है, तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता।”
राहुल गांधी ने वादा किया कि कांग्रेस यदि सत्ता में आती है तो पूरे देश में जाति जनगणना कराई जाएगी, और संसद में इस पर कानून पास कराया जाएगा। अधिवेशन के समापन पर राहुल गांधी के इस आक्रामक रुख ने साफ कर दिया कि जाति जनगणना अब कांग्रेस के राजनीतिक एजेंडे का एक मजबूत स्तंभ बनने जा रही है।
Author: Sweta Sharma
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