[the_ad id="4133"]
Home » इंडिया » उत्तर प्रदेश » लखनऊ » UP By-Election 2024: उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में सभी राजनीतिक दलों की बड़ी परीक्षा

UP By-Election 2024: उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में सभी राजनीतिक दलों की बड़ी परीक्षा

लखनऊ – लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में अब 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सभी राजनीतिक दलों की कठिन परीक्षा होने वाली है। यह चुनाव इसलिए विशेष है क्योंकि पहली बार इतनी अधिक संख्या में सीटों पर एक साथ उपचुनाव हो रहे हैं। सभी राजनीतिक दल इस मौके को भुनाने और अपना दमखम दिखाने की तैयारी में जुट गए हैं।

इस बार का उपचुनाव केवल एक राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि एक प्रतिष्ठा की लड़ाई है। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और आइएनडीआइए (इंडिया) के प्रत्याशी एक बार फिर आमने-सामने होंगे। इसके अलावा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), जो अक्सर उपचुनाव नहीं लड़ती, इस बार मजबूती से मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। बसपा का लक्ष्य अपना खोया जनाधार वापस पाना है, जो पिछले कुछ चुनावों में कमजोर हो गया था।

उपचुनाव की प्रमुख सीटें

उत्तर प्रदेश के इस उपचुनाव में 9 सीटें उन विधानसभा क्षेत्रों से खाली हुई हैं, जहां के विधायक अब सांसद बन चुके हैं। इन सीटों में प्रमुख हैं: प्रयागराज की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मीरजापुर की मझवां, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, अयोध्या की मिल्कीपुर, मैनपुरी की करहल, अंबेडकरनगर की कटेहरी, और मुरादाबाद की कुंदरकी।

इसके अलावा, कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट भी उपचुनाव का हिस्सा होगी। इस सीट से सपा विधायक इरफान सोलंकी को एमपी-एमएलए कोर्ट ने आगजनी के मामले में 7 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो गई। इस कारण अब सीसामऊ में भी चुनाव होने जा रहा है।

एनडीए के लिए प्रदर्शन सुधारने का सुनहरा मौका

लोकसभा चुनाव में अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन न कर पाने के बाद एनडीए अब अपनी पूरी ताकत से उपचुनाव में उतरने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल के डेढ़ दर्जन मंत्रियों को इन सीटों का प्रभारी नियुक्त कर दिया है। भाजपा की योजना है कि उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर लोकसभा चुनाव में हुई हार का बदला लिया जाए और कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भरा जाए।

भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने लखनऊ में दो दिवसीय समीक्षा बैठक के दौरान उपचुनाव में विजय का संकल्प लेते हुए कार्यकर्ताओं को दलित मतदाताओं पर विशेष फोकस करने का निर्देश दिया है। भाजपा की नजर इस बार उन विधानसभा सीटों पर है जहां से लोकसभा के दौरान कमजोर प्रदर्शन हुआ था। इन उपचुनावों में अच्छे परिणाम आने से भाजपा फिर से अपनी मजबूती को प्रमाणित करना चाहेगी।

आइएनडीआइए के लिए अपनी शक्ति बढ़ाने का मौका

दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए (INDIA) की कोशिश होगी कि वह लोकसभा चुनाव की लहर को बरकरार रखते हुए उपचुनाव में भी अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखे। समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस का लक्ष्य अधिक से अधिक सीटें जीतना है ताकि गठबंधन की ताकत को और बढ़ाया जा सके। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं को उपचुनाव की पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने के निर्देश दिए हैं।

सपा इस चुनाव में “पीडीए” (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ को और मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। सपा चाहती है कि उपचुनाव के नतीजे उसके पक्ष में हों ताकि वह राज्य में अपनी राजनीतिक पकड़ और मजबूत कर सके। इसके अलावा, कांग्रेस भी अपनी संगठनात्मक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना चाहती है।

बसपा की वापसी की कोशिश

बहुजन समाज पार्टी (बसपा), जो अक्सर उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेती, इस बार अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने के उद्देश्य से चुनावी मैदान में उतर रही है। मायावती की पार्टी पिछले कुछ चुनावों से अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाई है, लेकिन इस बार की तैयारी से ऐसा प्रतीत होता है कि बसपा उपचुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

मायावती की रणनीति इस चुनाव में दलितों और पिछड़े वर्गों को फिर से जोड़ने की है। अगर बसपा उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह न केवल पार्टी के लिए बल्कि राज्य की राजनीति में भी बड़ा संदेश साबित हो सकता है।

राज्य सरकार की सेहत पर नहीं पड़ेगा प्रभाव

हालांकि, इन उपचुनावों के नतीजों का राज्य सरकार की स्थिरता पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से यह उपचुनाव दोनों ही गठबंधनों के लिए महत्वपूर्ण है। हर राजनीतिक दल चाहेगा कि वह अधिक से अधिक सीटें जीतकर अपने पक्ष में राजनीतिक संदेश दे सके। भाजपा जहां अपनी खोई हुई सीटों को वापस हासिल करना चाहेगी, वहीं सपा, कांग्रेस और बसपा उपचुनाव के जरिए अपनी ताकत को और बढ़ाने की कोशिश करेंगे।

चुनावी नतीजों का प्रभाव

इन उपचुनावों के नतीजे निश्चित रूप से आगामी चुनावों पर असर डालेंगे। जहां एनडीए की कोशिश होगी कि वह लोकसभा चुनाव की हार को पीछे छोड़ते हुए अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करे, वहीं आइएनडीआइए अपनी हालिया जीत की लहर को बनाए रखना चाहेगा।

इन चुनावों में जो सीटें रिक्त हुई हैं, उनमें पांच सीटें समाजवादी पार्टी की, तीन भाजपा की, एक रालोद की और एक निषाद पार्टी की है। यह उपचुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति में आने वाले समय की दिशा निर्धारित कर सकते हैं। हर पार्टी के लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका है, और चुनावी परिणाम राज्य की राजनीतिक स्थिति पर गहरा असर डाल सकते हैं।

Admin Desk
Author: Admin Desk

Share This

Post your reaction on this news

Leave a Comment

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com