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Haryana Election 2024: विधानसभा चुनाव में भाजपा का नया गठबंधन, चुनावी रणनीति की नई तस्वीर

चंडीगढ़। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी रणनीति को धार देने के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन की नई राह पकड़ी है। इस बार भाजपा, राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। ये दोनों ही दल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा हैं, और इस गठबंधन के तहत भाजपा एक-एक सीट पर फोकस करते हुए चुनाव लड़ेगी।

गठबंधन की मजबूती:
पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के नेतृत्व वाली हरियाणा जनचेतना पार्टी (हजपा) भी इस गठबंधन का हिस्सा बन सकती है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इस संभावित गठबंधन पर विस्तार से चर्चा की है, और इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यह गठबंधन तीसरी बार सरकार में वापसी के लिए कारगर साबित हो सकता है।

जाट बाहुल्य सीटों पर आरएलडी का दावा:
भाजपा, आरएलडी सुप्रीमो जयन्त चौधरी की पसंद की दो से चार सीटों पर उनके उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है। ये सीटें विशेष रूप से जाट बाहुल्य होंगी। इस गठबंधन के तहत भाजपा और आरएलडी का प्रयास होगा कि जाट समुदाय का समर्थन हासिल किया जा सके, जो वर्तमान में भाजपा से नाराज बताए जा रहे हैं।

सिरसा और फतेहाबाद में हलोपा की हिस्सेदारी:
सिरसा के विधायक गोपाल कांडा की भाजपा को बिना शर्त समर्थन देने के बाद, हलोपा के लिए सिरसा और फतेहाबाद जिले की तीन से पांच सीटों पर दावा किया जा रहा है। भाजपा और हलोपा के बीच इन सीटों पर सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं, ताकि चुनावी समीकरणों को अपने पक्ष में किया जा सके।

गैर जाट राजनीति का असर:
भाजपा की गैर जाट राजनीति ने पिछले कुछ सालों में जाट समुदाय के बीच असंतोष पैदा किया है। हालांकि, पार्टी ने जाट नेताओं को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ दी हैं और टिकट भी दिए हैं, लेकिन जाट मुख्यमंत्री नहीं बनने से समुदाय में नाराजगी बनी हुई है। इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने जयन्त चौधरी को साथ मिलाकर नए समीकरण बनाए हैं, ताकि जाट मतदाता कांग्रेस की ओर न मुड़ें।

अंबाला और पंचकूला की सीटों पर हजपा की नजर:
हजपा की नजर अंबाला और पंचकूला जिले की पांच से छह सीटों पर है, जहां भाजपा भी अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है। मुख्य विवाद अंबाला शहर विधानसभा सीट को लेकर हो सकता है, जहां भाजपा विधायक असीम गोयल राज्य सरकार में मंत्री हैं। भाजपा, असीम गोयल और विनोद शर्मा के बीच के मतभेदों को सुलझाकर, दोनों के लिए संतोषजनक समाधान निकालने की कोशिश कर रही है।

गठबंधन की आधिकारिक घोषणा बाकी:
इस संभावित गठबंधन पर बुधवार रात केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निवास पर चर्चा हुई, और वीरवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इन समीकरणों पर आगे बढ़ने की सहमति दी गई है। अब केवल सीटों के बंटवारे पर अंतिम फैसला और गठबंधन की विधिवत घोषणा होनी बाकी है।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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