पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) लगातार कमजोर होती जा रही है। पार्टी से 12 से अधिक बड़े नेताओं ने या तो खुद को अलग कर लिया है या फिर उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया है। इनमें तीन पूर्व सांसद और छह से अधिक पूर्व विधायक शामिल हैं।
बसपा का कमजोर होता जनाधार
2007 में बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने वाली बहुजन समाज पार्टी अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कमजोर होती जा रही है। पार्टी से जुड़े कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं या उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। पिछले कुछ वर्षों में वेस्ट यूपी के 15 से अधिक बसपाई अलग हो चुके हैं। इनमें हाल ही में नगीना के पूर्व सांसद गिरीश चंद्र का नाम भी जुड़ गया है।
बसपा से जुड़े बड़े नाम पार्टी छोड़ रहे
पूर्व सांसद वीर सिंह, पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान, पूर्व सांसद दानिश अली जैसे बड़े नेता अब बसपा का हिस्सा नहीं हैं। इन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से बाहर किया गया या उन्होंने खुद ही पार्टी से किनारा कर लिया।
आसपा का बढ़ता जनाधार
बसपा की गिरती साख के बीच आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) का जनाधार बढ़ता जा रहा है। चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में आसपा नगीना से पहली बार सांसद बने हैं। हाल के उपचुनावों में भी आसपा ने बेहतर प्रदर्शन किया है। कुंदरकी उपचुनाव में आसपा तीसरे स्थान पर रही, जबकि बसपा पांचवें स्थान पर पहुंच गई थी।
वेस्ट यूपी में तीन चुनावों में स्कोर जीरो
मुरादाबाद मंडल में बसपा के प्रदर्शन की बात करें तो पिछले तीन विधानसभा चुनावों में पार्टी का स्कोर शून्य रहा है। मंडल की 27 विधानसभा सीटों में से अधिकांश पर बसपा लड़ाई से बाहर ही रही।
पार्टी से निकाले गए और छोड़ने वाले नेता
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वीर सिंह, पूर्व राज्यसभा सांसद
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दानिश अली, पूर्व सांसद, अमरोहा
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मलूक नागर, पूर्व सांसद, बिजनौर
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गिरीश चंद्र, पूर्व सांसद, नगीना
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अकीलुर्रहमान, पूर्व मंत्री
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अकबर हुसैन, पूर्व मंत्री
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प्रशांत गौतम, पूर्व मंत्री
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विजय यादव, पूर्व विधायक
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दीपक कुमार, पूर्व विधायक
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मोहम्मद गाजी, पूर्व विधायक, बढ़ापुर
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सुबोध परासर, पूर्व एमएलसी
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अशोक राणा, पूर्व विधायक
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जगपाल, पूर्व विधायक
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अनिल चौधरी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष, मुरादाबाद
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फिजाउल्लाह चौधरी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष
पार्टी से जुड़ने और छूटने के इस क्रम ने बसपा के लिए नए समीकरण बनाए हैं। वहीं, आसपा का जनाधार लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे पश्चिमी यूपी की राजनीति में बदलाव की संभावना है।

Author: Sweta Sharma
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