उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों को 2027 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इन उपचुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बना रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा सक्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नजर आ रहे हैं। योगी अब तक इन 10 सीटों में से सात का दौरा कर चुके हैं और पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर चुके हैं।
बीजेपी की चिंता: सपा-कांग्रेस गठबंधन से चुनौती
हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में सपा-कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा को करारा झटका दिया था, जब इस गठबंधन ने प्रदेश की 80 में से 43 सीटों पर कब्जा जमाया था। सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा को अब अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।
2027 के विधानसभा चुनावों से पहले ये उपचुनाव भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का ‘पीडीए’ (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फार्मूला भी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। अखिलेश यादव लगातार इन समुदायों के मुद्दों को उठाकर योगी सरकार पर हमला कर रहे हैं। मंगेश यादव की पुलिस मुठभेड़ में मौत और बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सपा और भाजपा के बीच तीखी जुबानी जंग चल रही है।
योगी की रणनीति: हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर फोकस
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन उपचुनावों में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को अपने मुख्य मुद्दे बना रहे हैं। अपने दौरों के दौरान वे अयोध्या, कन्नौज और बांग्लादेश की घटनाओं का जिक्र कर सपा को निशाने पर ले रहे हैं। योगी आदित्यनाथ सपा को “गुंडों की पार्टी” के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं महिलाओं की सुरक्षा और हिंदुओं पर बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार जैसे मुद्दों को हवा दे रहे हैं।
युवाओं को लुभाने के लिए यूपी सरकार लगातार नियुक्ति प्रमाण पत्र बांट रही है। अब तक 22 हजार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए जा चुके हैं। इसके अलावा छात्रों को टैबलेट और स्मार्टफोन भी दिए जा रहे हैं, जो पहली बार वोट देने वाले युवाओं को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा है।
बसपा का त्रिकोणीय मुकाबला
इस उपचुनाव में बसपा भी सक्रिय हो गई है और पहली बार उपचुनाव में हिस्सा ले रही है। बसपा का उद्देश्य अपना खिसकता जनाधार वापस पाना है, जिससे उपचुनाव त्रिकोणीय हो सकता है।
किन सीटों पर होगा उपचुनाव?
यूपी की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें शामिल हैं:
– अयोध्या की मिल्कीपुर
– अंबेडकरनगर की कटेहरी
– कानपुर नगर की सीसामऊ
– मैनपुरी की करहल
– अलीगढ़ की खैर
– गाजियाबाद
– मुजफ्फरनगर की मीरापुर
– प्रयागराज की फूलपुर
– मुरादाबाद की कुंदरकी
– भदोही की मझवां
इन उपचुनावों में सबसे बड़ी चुनौती सपा-कांग्रेस गठबंधन से होगी, लेकिन बसपा की भागीदारी से मुकाबला त्रिकोणीय बनता नजर आ रहा है।
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। भाजपा जहां हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के सहारे अपनी जमीन बचाने की कोशिश कर रही है, वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के मुद्दों को उठाकर भाजपा को चुनौती दे रहे हैं। इन उपचुनावों का परिणाम 2027 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय कर सकता है।
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Author: Sweta Sharma
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