उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए पुलिस के रवैये पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्विटर (अब एक्स) पर शायराना अंदाज में अपनी प्रतिक्रिया दी और लिखा, “ज़ुल्मी हुक्मरानों ने ला दिया है ऐसे हालातों में, पत्थर दे दिए हिफाजत करने वालों के हाथों में”। इसके साथ ही उन्होंने पुलिसकर्मियों की एक तस्वीर भी साझा की है, जिससे यह साफ हो गया कि वह पुलिस के व्यवहार से नाराज हैं।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के मतदान के दौरान पुलिस के रवैये को लेकर कई सवाल उठे हैं। विभिन्न स्थानों पर लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस मतदान केंद्रों के पास बैरियर लगाकर लोगों को रोकने की कोशिश कर रही थी। इसके अलावा कुछ स्थानों पर मतदान करने पहुंचे मतदाताओं को जबरन वापस भेजा जा रहा था। कानपुर की सीसामऊ सीट पर भी फर्जी वोटिंग को लेकर पुलिस ने कुछ जगहों पर रोक-टोक की।
पुलिस और नेताओं के बीच विवाद
जैसे ही मतदान शुरू हुआ, पुलिसकर्मियों ने मतदाताओं को टोकना शुरू कर दिया, जिससे भाजपा और सपा के नेताओं के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। चुनाव अधिकारियों से उलझने के दौरान पुलिस ने दो युवकों को फर्जी मतदान करने के आरोप में हिरासत में लिया। वहीं, कुछ स्थानों पर पुलिसकर्मियों की सख्ती के कारण मतदान के वातावरण में तनाव बढ़ गया।
मीरापुर उपचुनाव में हंगामा
मीरापुर उपचुनाव के दौरान ककरौली में बड़ा हंगामा हुआ। मुस्लिम समाज के लोगों ने मतदान से रोके जाने के विरोध में मोरना-जानसठ मार्ग पर जाम लगा दिया। पुलिस जाम हटाने पहुंची तो कुछ युवकों ने पथराव कर दिया। इस दौरान एसओ राजीव शर्मा और अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए। एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एसओ महिला मतदाताओं की ओर पिस्टल तानते हुए नजर आए।
सपा ने सरकार पर जमकर निशाना साधा
इस पूरे घटनाक्रम पर अखिलेश यादव ने एक बार फिर भाजपा सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने अपनी पोस्ट में पुलिस के कृत्य पर कड़ी आलोचना करते हुए शायराना अंदाज में यह सवाल उठाया कि आखिर क्यों सुरक्षा करने वाले पुलिसकर्मियों को ही पत्थर दिए जा रहे हैं। उनकी इस टिप्पणी ने भाजपा और सपा के बीच की राजनीतिक खाई को और बढ़ा दिया है।
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में सुरक्षा व्यवस्था, पुलिस की भूमिका और चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठने के बाद अब देखने वाली बात यह होगी कि चुनाव आयोग इस पर क्या कदम उठाता है।

Author: Sweta Sharma
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